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अस्पतालों में पलंग फुल, जमीन पर इलाज

locationग्वालियरPublished: Mar 18, 2019 01:45:18 am

मौसम में बदलाव से खांसी, बुखार के मरीज बढ़े
गद्दे भी कम, मुरार जिला अस्पताल में बेंच पर मरीज

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अस्पतालों में पलंग फुल, जमीन पर इलाज

ग्वालियर. मौसम में आ रहे बदलाव ने जुकाम, खांसी के साथ लोगों को दूसरी बीमारियों की चपेट में ला दिया है। जहां एक ओर जेएएच की ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। वहीं दूसरी और जेएएच के मेडिकल और सर्जरी वार्ड में मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी से यह स्थिति हो गई है कि मरीजों को जमीन पर लेटकर इलाज कराना पड़ रहा है। कुछ मरीज बिछाने के लिए अपने घर से कपड़े की बात कहते नजर आए। जेएएच में मरीजों की संख्या अधिक होने के बारे में एक डॉक्टर का कहना था कि निजी अस्पतालों में इलाज दिनों-दिन महंगा होता जा रहा है। स्वाइन फ्लू, डेंगू जैसी बीमारी के साथ-साथ मौसम में आ रहे उतार-चढ़ाव के चलते जुकाम, खांसी, बुखार के भी मरीज बढ़ रहे हैं। मौसमी बीमारियों की वजह से जेएएच की ओपीडी की स्थिति ये है कि जहां कुछ समय पूर्व दो-ढाई हजार मरीज पहुंचते थे, अब वहां तीन-साढ़े तीन हजार मरीज प्रतिदिन पहुंच रहे हैं। इसके साथ ही वहां भर्ती होने वालों की संख्या में भी इजाफा होता जा रहा है।
घर से लाए बिस्तर: जेएएच के सर्जरी वार्ड में जब पत्रिका टीम पहुंची तो वहां उनको सारे पलंग मरीजों से भरे हुए दिखे, अंदर जाकर देखा तो कई मरीज जमीन पर लेटे थे, इतना ही नहीं बाहर भी मरीज जो अपने घर से बिस्तर लाए थे, वे लेटे हुए दिखाई दिए। एक मरीज के अटेंडर से पूछा तो उनका कहना था कि हम भितरवार से आए हैं इतना पैसा नहीं है कि प्राइवेट अस्पताल में इलाज करा लें, सो अपने मरीज को यहां ले आए हैं। उन्होंने कहा कि यहां देखभाल नहीं हो रही है शिकायत की तो कोई सुनने वाला नहीं हैं।
पत्रिका टीम जब मेल मेडिकल वार्ड में पहुंची तो वहां भी मरीज वार्ड के बाहर जमीन पर पड़े हुए मिले। जिनमें दो मरीजों के परिजनों से चर्चा की तो उनका कहना था कि तीन-चार दिन हो गए, पलंग कोई खाली नहीं हो रहा है जमीन पर डालकर अपने मरीज का इलाज करा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि डॉक्टर तो सुबह-शाम देखने जरूर आते हैं। ऐसी ही स्थिति केआरएच के कुछ वार्डों में भी देखने को मिली।
नए अस्पताल बनने पर मिलेगी राहत
सूत्रों ने बताया कि जेएएच में लगभग एक हजार पलंग होने के बाद भी प्रतिदिन भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या लगभग 1200-1300 रहती है। पलंग समस्या से निजात दिलाने के लिए सुपर स्पेशलिटी अस्पताल और एक हजार बिस्तर का नया अस्पताल बन रहा है, जिसके बनने के बाद जमीन पर इलाज नहीं कराना पड़ेगा।
जिला अस्पताल में फटे गद्दे
मुरार जिला अस्पताल में देखा कि अधिकतर पलंग पर गद्दे फटे हुए थे और चादर गंदी दिखाई दी। यहां के दो-तीन वार्ड में मरीज की संख्या अधिक थी। एक वार्ड की नर्स ने बताया कि पलंग चौबीस हैं लेकिन यहां मरीज प्रतिदिन चालीस से पचास तक रहते हैं। कभी-कभी तो हमें टेबल पर लिटाकर मरीज का इलाज करना पड़ता है। उक्त नर्स ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि यहां डॉक्टरों की मनमानी का आलम यह है कि बार-बार मरीज के अटेण्डर या हम लोग बुलाते हैं लेकिन डॉक्टर समय पर नहीं पहुंचते। डॉक्टरों की मनमानी से मरीज परेशान होते हैं।
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