नए अस्पताल बनने पर मिलेगी राहत
सूत्रों ने बताया कि जेएएच में लगभग एक हजार पलंग होने के बाद भी प्रतिदिन भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या लगभग 1200-1300 रहती है। पलंग समस्या से निजात दिलाने के लिए सुपर स्पेशलिटी अस्पताल और एक हजार बिस्तर का नया अस्पताल बन रहा है, जिसके बनने के बाद जमीन पर इलाज नहीं कराना पड़ेगा।
जिला अस्पताल में फटे गद्दे
मुरार जिला अस्पताल में देखा कि अधिकतर पलंग पर गद्दे फटे हुए थे और चादर गंदी दिखाई दी। यहां के दो-तीन वार्ड में मरीज की संख्या अधिक थी। एक वार्ड की नर्स ने बताया कि पलंग चौबीस हैं लेकिन यहां मरीज प्रतिदिन चालीस से पचास तक रहते हैं। कभी-कभी तो हमें टेबल पर लिटाकर मरीज का इलाज करना पड़ता है। उक्त नर्स ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि यहां डॉक्टरों की मनमानी का आलम यह है कि बार-बार मरीज के अटेण्डर या हम लोग बुलाते हैं लेकिन डॉक्टर समय पर नहीं पहुंचते। डॉक्टरों की मनमानी से मरीज परेशान होते हैं।
सूत्रों ने बताया कि जेएएच में लगभग एक हजार पलंग होने के बाद भी प्रतिदिन भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या लगभग 1200-1300 रहती है। पलंग समस्या से निजात दिलाने के लिए सुपर स्पेशलिटी अस्पताल और एक हजार बिस्तर का नया अस्पताल बन रहा है, जिसके बनने के बाद जमीन पर इलाज नहीं कराना पड़ेगा।
जिला अस्पताल में फटे गद्दे
मुरार जिला अस्पताल में देखा कि अधिकतर पलंग पर गद्दे फटे हुए थे और चादर गंदी दिखाई दी। यहां के दो-तीन वार्ड में मरीज की संख्या अधिक थी। एक वार्ड की नर्स ने बताया कि पलंग चौबीस हैं लेकिन यहां मरीज प्रतिदिन चालीस से पचास तक रहते हैं। कभी-कभी तो हमें टेबल पर लिटाकर मरीज का इलाज करना पड़ता है। उक्त नर्स ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि यहां डॉक्टरों की मनमानी का आलम यह है कि बार-बार मरीज के अटेण्डर या हम लोग बुलाते हैं लेकिन डॉक्टर समय पर नहीं पहुंचते। डॉक्टरों की मनमानी से मरीज परेशान होते हैं।