-स्थानीय लोगों ने बताया कि नगर प्रशासन मंत्री मायासिंह से निगमायुक्त को फोन कराया गया था। उन्होंने लोगों को समय देने के लिए कहा था, लेकिन निगमायुक्त ने कार्रवाई जारी रखी।
महिलाओं ने कलेक्टर बंगले पर जाकर घेराव किया और मोहलत मांगी, इसके बाद कलेक्टर ने सामान हटाने के लिए 4 घंटे की मोहलत दी, लेकिन निगम अधिकारियों ने समय सीमा पूरी होने से पहले ही तुड़ाई शुरू कर दी।
कार्रवाई के दौरान पुलिस के लगभग 70 जवान, एएसपी अमन सिंह राठौर, सीएसपी धर्मराज मीणा के नेतृत्व में डटे रहे। इसके अलावा एसडीएम नरोत्तम भार्गव और नायब तहसीलदार डॉ. मधुलिका तोमर मॉनीटरिंग करती रहीं।
सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक तानसेन होटल के सामने तक एक तरफ की सड़क पर आवागमन बंद कर दिया गया, इस कारण निगम मुख्यालय मोड़ पर दिन भर जाम की स्थिति बनी रही।
दलवीर सिंह, कांती प्रकाश गोयल और मिथलेश शर्मा, गौरीशंकर, रमादेवी, रामलखन सिंह, शरद भदौरिय, पीके खंडेलवाल, सुयश शर्मा, राघवेन्द्र सिहं,मीना देवी, रविन्द्र सिंह भदौरिया, विवेक सिंह, राजेन्द्र राजपूत, उमा शमा, आरएस भदौरिया, माधव पवैया के मकान शामिल हैं। इनमें किसी का एक मंजिल तो किसी का चार मंजिल तक मकान बना था।
-16 मकानों की लिस्ट लेकर आए निगम अधिकारियों ने पांच मकानों पर ज्यादा तुड़ाई की।
-लगभग 8 करोड़ की संपत्ति जमींदोज हुई। 1991 में जमीन लेकर मकान बनवाया है। इसमें अभी तक जमा पूंजी लगा दी। अब मकान छोडऩा पड़ रहा है। प्रशासन को सोचना चाहिए कि हम लोगों से किसी को क्या परेशानी हो सकती है।
सुधा सिकरवार, रहवासी
एपीएस भदौरिया, उपायुक्त-नगर निगम इतने सालों से बिल्डिंग बन रही हैं, इसके बावजूद निगम अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया। अभी जो कार्रवाई हुई है, उसमें भी निगम अधिकारियों ने होटल और कमर्शियल एक्टिविटीज वाले मकानों को छोड़कर रिहायशी निर्माण तोड़े हैं। जिन भवन अधिकारियों सहित अन्य अधिकारियों के समय में यह बिल्डिंग बनी हैं, उन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। हमने इन मुद्दों को लेकर कोर्ट में याचिकाएं लगाई हैं। इसकी सुनवाई सोमवार को होगी।
अवधेश तोमर, एडवोकेट
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