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प्रत्याशी हो रहे कमर दर्द का शिकार, रोजाना सैकड़ों मतदाताओं के छूने पड़ते हैं पैर

locationग्वालियरPublished: Oct 28, 2020 07:11:33 pm

Submitted by:

Faiz

सैकड़ों मतदाताओं के पैर छूने से प्रत्याशी हो रहे कमर दर्द का शिकार।

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प्रत्याशी हो रहे कमर दर्द का शिकार, रोजाना सैकड़ों मतदाताओं के छूने पड़ते हैं पैर

ग्वालियर/ उपचुनाव में जीत दर्ज करना हर पार्टी और प्रत्याशी के लिए साख की लड़ाई बनी हुई है। राजनीतिक दल हो या प्रत्याशी दोनो ही जीत के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। चुनाव में मतदाताओं के पैर छूकर उन्हें अपना कीमती वोट देने के लिए मनाना एक सैद्धांतिक मूलमंत्र है। इसे मतदाता को अपनी ओर आकर्षित करने का सबसे आसान तरीका माना जाता है। इसी मूलमंत्र के चलते अपनी अपनी विधानसभा क्षेत्र में जनसंपर्क के दौरान प्रत्याशी मतदाताओं के पैर छू रहे हैं। लेकिन, रोजाना सैकड़ों बार ऐसा करना प्रत्याशियों को अब भारी पड़ने लगा है। क्योंकि, रोजाना करीब चार-पांचसौ मतदाताओं के पैर छूने के लिए झुकने से प्रत्याशियों को कमर और पीठ में दर्द की शिकायत होने लगी है।

 

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मतदाता को लुभाना बना प्रत्याशी की मुसीबत

कई प्रत्याशी तो जनसंपर्क के दौरान ही कमर दर्द की दवा या बाम आदि साथ रख रहे हैं। ग्वालियर विधानसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी सुनील शर्मा बुरी तरह बैक पैन के शिकार हो गए हैं। यही हालत उनके प्रतिद्वंदी प्रद्युम्न सिंह तोमर की भी है। साथ ही, चंबल की अंबाह सीट पर भी प्रत्याशी मतदाताओं के पैर छू-छूकर परेशान आ चुके हैं। प्रत्याशियों के लिए बड़ी मजबूरी यह है कि, अगर वो मतदाता के पैर नहीं छूते तो मतदाता को लगता है कि, प्रत्याशी अभी ही इतना घमंड में है, तो चुनाव जीतने के बाद क्या करेगा। मतदाता की इस बड़ी धारणा को तोड़ना प्रत्याशी के लिए मुसीबत बनता जा रहा है।

 

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यहां से शुरु हुई पैर छू कर वोट मांगने की प्रथा

मुरैना की दिमनी विधानसभा क्षेत्र से पांच बार विधायक रहने के साथ साथ मंत्री रहे मुंशीलाल के बारे में कहा जाता है कि, उन्होंने अपने चुनावी प्रचार में न के बराबर खर्च में चुनाव लड़ा है, लेकिन हर बार जीते भी हैं। उनके क्षेत्र के बुजुर्गों का कहना है कि, उनकी जीत का बड़ा श्रेय सिर्फ क्षेत्र के बड़ों का सम्मान करना है। यानी प्रचार में जनसंपर्क के दौरान वो क्षेत्र के बड़ों के पैर छू कर आशीर्वाद लेना नहीं भूलते। उनका बड़ों के प्रति यही आदर हर बार उन्हें चुनाव में जिता देता है। मुंशीलाल के बाद चुनाव जीतने की ये सस्ती, सुंदर और टिकाऊ तकनीक सभी प्रत्याशियों ने अपनानी शुरू कर दी।

 

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क्या कहते हैं एक्सपर्ट

चुनाव प्रचार अंतिम समय चल रहा है। ऐसे में प्रत्याशियों के पास आराम करने का भी समय नहीं बच रहा है। रोजाना जनसंपर्क के दौरान लगातार दो-चार घंटे चलते रहने और रास्ते में मिलने वाले हर बुजुर्ग के पैर छूना पड़ता है। पैर छूने के लिए शरीर को बार बार झुकाने से बैक पैन होने लगता है। जेएएच अधीक्षक डॉ. आरकेएस धाकड़ के मुताबिक, अनियमित दिनचर्या, खानपान, बार-बार झुकने से कमर में दर्द होना स्वभाविक है। बैक पेन से बचने के लिए प्रत्याशी के लिए जरूरी है कि, वो जितना हो सके, झुकने से बचे, साथ ही पर्याप्त आराम भी करे। बार-बार झुकने की नौबत है तो सतर्कता बरतनी बेहद जरूरी है। ऐसी स्थिति में बेल्ट बांधकर रखना चाहिए।

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