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‘हुरमुचो कशीदा’ को जीवित कर देश में दिलाई पहचान, मिलिए ग्वालियर की सरला सोनेजा से

locationग्वालियरPublished: Aug 19, 2019 05:49:02 pm

Submitted by:

Gaurav Sen

ग्वालियर के अलावा मुंबई, अहमदाबाद, दिल्ली में तक किया रिसर्च, 1986 में कमिश्नर अजय शर्मा ने दिया था पहला प्रोजेक्ट

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‘हुरमुचो कशीदा’ को जीवित कर देश में दिलाई पहचान, मिलिए ग्वालियर की सरला सोनेजा से

सिंध की कला ‘हुरमुचो कशीदा’ को एक बार फिर जीवित करने में शहर की सरला सोनेजा ने अपना पूरा जीवन लगा दिया। कपड़े में तैयार की जाने वाली इस कला को प्रभाव में लाने के लिए सरला सिंधु समाज की बुजुर्ग महिलाओं से मिलीं। उन्होंने हर स्तर पर पहुंचकर रिसर्च किया। पूरी तरह से जानने और समझने के बाद उन्होंने किताबें लिखीं, जो महिला एवं बाल विकास ने पाठ्यक्रम में शामिल हैं। आज इस कला को देश में पहचान मिल चुकी है…

कमिश्नर ने दिया मुझे पहला ऑफर
सरला ने बताया कि 1986 में मैंने पहली बार हुरमुचो कशीदा की एग्जीबिशन लगाई और उसमें कमिश्नर अजय शर्मा को बुलाया। उन्होंने जब इस कला को देखा, तो खुश हुए और बोले कि इसकी तलाश मैं लंबे समय से कर रहा था। उन्होंने मुझे दिल्ली डीसीएच सेंटर बुलाया और गवर्नमेंट की स्कीम के तहत महिलाओं को ट्रेंड करने का ऑफर दिया। तब से इसका व्यापक प्रचार हो सका।

लगाती हैं एग्जीबिशन
अपनी 22 साल की उम्र में उन्हें इस कला के बारे में जानकारी मिली, तब वे ग्वालियर के साथ ही मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद में पहुंचकर समाज की बुजुर्ग महिलाओं से मिली और उनसे सीखकर इस कला का प्रचार प्रसार किया। आज उनकी उम्र लगभग 67 साल है। वह फाइनेंशियली स्ट्रांग हैं, फिरभी इस कला से अधिक से अधिक लोगों को जोडऩे के लिए एग्जीबिशन के माध्यम से लोगों के बीच पहुंच रही हैं।

तीन हजार गल्र्स और वुमन को किया ट्रेंड
सरला ने हुरमुचो कशीदा कला को जीवित करने के लिए गल्र्स को फ्री ट्रेनिंग देने लंबे समय से देती आ रही हैं। उन्होंने अभी तक लगभग 3000 से अधिक गल्र्स एवं महिलाओं को ट्रेंड किया है, जो देशभर में इस कला का प्रचार प्रसार कर रही हैं।

इन कपड़ों का उपयोगदूल्हे की पगड़ी में
सरला ने बताया कि यह सिंध की कला है, समाज की शादी में दूल्हे के सिर पर पगड़ी में यही कपड़ा लगता है। तब बहनें आगे की रस्म पूरी करती हैं। कुछ दशक पहले तक सिम्पल कपड़े का यूज किया जाता था, लेकिन आज हुरमुचो कशीदा से तैयार कपड़े उपलब्ध हैं।

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