उच्चस्तरीय जांच के लिए टीर्में आई हुई हैं। टीम जानने में जुटी है उड़ान के दौरान पायलट एटीसी (एयर ट्रैफिक कंट्रोल) या रडार कंट्रोल से मिले निर्देश नहीं समझ पाए या फिर सुखोई और मिराज दोनों को दो अलग,अलग (एटीसी और रडार कंट्रोल) जगह से निर्देश अलग निर्देश मिल रहे थे। इस बीच ग्वालियर के महाराजपुरा एयरबेस से फाइटर प्लेन की उड़ानें बंद हैं। दो दिन से किसी भी प्लेन ने रूटीन प्रैक्टिस के लिए उड़ान नहीं भरी है। इसकी वजह भी स्पष्ट नहीं की जा रही है। हालांकि खराब मौसम का हवाला दिया जा रहा है।
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ब्लैक बॉक्स को डिकोड करने में जुटे एक्सपर्ट्स
मिराज और सुखाई के ब्लैक बॉक्स को डिकोड करने के लिए इंजीनियर्स की टीम जुटी है। उनकी मदद के लिए फ्रांस से तकनीशियनों की टीम को बुलाया जा सकता है। ब्लैक बॉक्स से पता चलेगा कि उडान के दौरान किन खामियों की वजह से दोनों विमान टकराए हैं।
शनिवार को सुखोई 30 और मिराज 2000 वायुसेना के एयर बेस से उड़ान भरने के बाद जजीपुरा( पहाडगढ़, मुरैना) गांव के आसमान में पहुंचकर कैसे टकराए थे। वायुसेना के सामने सबसे अहम सवाल यही है। जानकारों का कहना है सुखोई और मिराज उड़ा रहे पायलट खासे अनुभवी रहे हैं। रूटीन प्रेक्टिस पर विमान उड़ते हैं तब एटीसी (एयर ट्रैफिक कंट्रोल) से विमान का कंट्रोल और एयरबेस के रड़ार से उनकी निगरानी होती है।
विमान किस दिशा में है कहां जा रहा है रडार पर उसकी लोकेशन और पोजीशन दिखती है। एटीसी पायलट को निर्देश देते हैं। इसके साथ नियम भी है पायलट भी उड़ान के दौरान आसपास देखेगा। फिर दोनों विमान एक दूसरे के नजदीक कैसे आए।
गणेशपुरम में अंतिम संस्कार
मिराज के पायलट विंग कमांडर हनुमंत राव सारथी का पैतृक गांव गणेशपुरम बेलगावी, कनार्टक में सैनिक सम्मान से अंतिम संस्कार किया गया। शहीद सारथी की अंतिम यात्रा में राजनीतिक व सामाजिक लोग मौजूद रहे। शहीद विंग कमांडर सारथी के पिता रेवांसिद्दप्पा सेना के रिटायर्ड कैप्टन और भाई प्रवीण वायुसेना में ग्रुप कैप्टन हैं। सारथी के परिवार में उनकी पत्नी एक साल का बेटा और साढ़े तीन साल की बेटी है।