दो दिन घूमे आइसी, अब फिर पुराने ढर्रे पर आई व्यवस्था
शहरी क्षेत्र में संक्रमण को कम करने के लिए 414 कंटेनमेंट जोन की जिम्मेदारी 39 इंसीडेंट कमांडरों को सौंपी गई थी। इनमें से नगर निगम क्षेत्र की जिम्मेदारी 25 इंसीडेंट कमांडरों पर है

ग्वालियर. शहरी क्षेत्र में संक्रमण को कम करने के लिए 414 कंटेनमेंट जोन की जिम्मेदारी 39 इंसीडेंट कमांडरों को सौंपी गई थी। इनमें से नगर निगम क्षेत्र की जिम्मेदारी 25 इंसीडेंट कमांडरों पर है। इसके बावजूद शहर में कहीं भी संक्रमण को रोकने, सोशल डिस्टेंस का पालन कराने या फिर कंटेनमेंट जोन मेंं प्रतिबंधात्मक आदेशों का पालन नहीं हो रहा है। चार दिन पहले कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने कंटेनमेंट जोन निरीक्षण के समय अव्यवस्थाएं मिलने पर तहसीलदार नरेश गुप्ता को निलंबित करने के प्रस्ताव सहित अन्य इंसीडेंट कमांडरों को सही तरीके से काम करने की चेतावनी दी थी। इसके बाद सभी क्षेत्रों के सीएसपी और पीडब्ल्यूडी अधिकारियों की टीम बनाकर बेरिकेडिंग लगवाने की जिम्मेदारी दी गई थी। कलेक्टर के इस आदेश के बाद दो दिन तक तो सभी अधिकारियों में मुस्तैदी दिखी लेकिन अब सब पुराने ढर्रे पर आ गया है।
नहीं है विभागीय सामंजस्य
वर्तमान में 414 कंटेनमेंट जोन हैं और 648 एक्टिव कोरोना पॉजीटिव मरीज हैं। इन मरीजों के मिलने के बाद शहर के लगभग हर क्षेत्र में कंटेनमेंट जोन बन गए हैं। इन क्षेत्रों में कोविड-19 गाइडलाइन का पालन कराने की जिम्मेदारी सभी इंसीडेंट कमांडरों की है। जबकि सेनेटाइजेशन, सुरक्षा और बेरिकेडिंग की जिम्मेदारी पुलिस, नगर निगम और पीडब्ल्यूडी को दी गई है। इन सभी विभागों के बीच बेहतर समन्वय न होने के कारण लगभग हर कंटेनमेंट जोन लोगों की मनमानी का शिकार हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति कुछ ठीक
शुरुआत में ग्रामीण क्षेत्र के जिन एपि सेंटरों के आसपास कंटेनमेंट जोन बनाए गए थे, उन क्षेत्रों में पुलिस भले ही सक्रिय न रही हो लेकिन ग्रामीणों ने अपने स्तर पर ही व्यवस्थाएं बेहतर करने की कोशिश की थी। वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्र में कंटेनमेंट जोन नहीं हैं, इसके बाद भी जहां संक्रमण हुआ था, उन जगहों पर अभी भी लोग संक्रमण के भय से आपसी दूरी बनाए हुए हैं।
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