scriptन्यूजीलैंड की तरह गंभीर हों भारतवासी, तो महामारी भी रास्ता बदल लेगी | If Indians are as serious as New Zealand, the epidemic will change the | Patrika News

न्यूजीलैंड की तरह गंभीर हों भारतवासी, तो महामारी भी रास्ता बदल लेगी

locationग्वालियरPublished: Jul 01, 2020 01:42:35 pm

Submitted by:

Mahesh Gupta

न्यूजीलैंड के इंडियन रेडियो में न्यूज डिपार्टमेंट की पूर्व हेड प्रीता व्यास ने जताई चिंता…

न्यूजीलैंड की तरह गंभीर हों भारतवासी, तो महामारी भी रास्ता बदल लेगी

न्यूजीलैंड की तरह गंभीर हों भारतवासी, तो महामारी भी रास्ता बदल लेगी

ग्वालियर.

इंडिया में सरकार के फैसले पर लोग टीका टिप्पणी करते हैं। विरोध करते हैं, उन्हें अपने हिसाब से चलने में मजा आता है। लेकिन न्यूजीलैंड में ऐसा नहीं है। एक बार गवर्नमेंट ने यदि कोई डिसीजन ले लिया, तो सभी उस पर अमल करते हैं। यही कारण रहा कि एक महीने तक रहे कम्पलीट लॉकडाउन में लोग खुद ही घरों से बाहर नहीं निकले। जितनी चीजें घर पर थीं, उतने में गुजारा किया। या ऑनलाइन मंगाया। बीमार होने पर डॉक्टर से फोन पर बात कर मेडिसिन ऑनलाइन मंगाई। इसीलिए हम आज कोरोना मुक्त हो गए। यह कहना है न्यूजीलैंड में रह रहीं भारतीय मूल की निवासी राइटर व सीनियर जर्नलिस्ट प्रीता व्यास का, जो ग्वालियर के गांधी नगर की रहने वाली हैं।

1400 पॉजिटिव केस में से 21 की हुई डेथ
प्रीता ने बताया कि न्यूजीलैंड में कोविड-19 संक्रमण फैलने की शुरुआत मार्च में हुई। कुल 1400 मामले सामने आए। इनमें से 21 पेशेंट की डेथ हुई। लगातार 24 दिन तक कोई केस न आने से ढील देना शुरू की गई। गवर्नमेंट ने फोर फेज में जन जीवन सामान्य किया। फोर्थ फेज में टोटल लॉकडाउन था। जिसमें किसी को बाहर निकलने की अनुमति नहीं थी।

डेथ पर अंतिम संस्कार के लिए नहीं गए साथ
गवर्नमेंट द्वारा चिकित्सीय सुविधा अच्छी रही। कुल संक्रमित 1400 में से 10 लोग ही आइसीयू में एडमिट हुए। 21 डेथ में से 20 डेथ 70 साल से ऊपर उम्र की थी और एक मौत 34 साल के युवा की हुई। हर पेशेंट के लिए अलग रूम था। पेशेंट हॉस्पिटल की सर्विस से बहुत खुश थे। कम्प्लीट लॉकडाउन के दौरान नॉर्मल फैमिली में भी जिसकी डेथ हुई, उन्होंने डेथ सर्विसेस को इन्फॉर्म किया और वे अकेले ही बॉडी को ले गए।

ऐप से फैमिली मेंबर्स को करते थे ट्रैक
थर्ड फेज 15 दिन का रहा, जिसमें डिपार्टमेंटल स्टोर, मेडिकल ओपन किए गए। केवल एक विंडो ओपन होती थी। वहीं से लोग टेक अवे करते थे। घर का एक मेंबर ही बाहर निकलता था और दो मीटर के डिस्टेंस को फॉलो करता था। सेकंड फेज में घर पर पार्टी एलाऊ कर दी गई, जिसमें 10 लोग शामिल होने की परमीशन थी। 4 सदस्य फैमिली के साथ घूम सकते थे। गवर्नमेंट के एक ऐप को सभी को डाउनलोड करना था, जिसे टै्रक किया जाता था। शादी में 20 लोग एलाऊ थे। फस्र्ट फेज में 50 लोग शामिल हो सकते थे। एक्टिविटी करने की परमीशन मिली। आज जीवन पूरी तरह से सामान्य हो चुका है।

इंटरनेशनल बॉर्डर अभी ओपन नहीं
सरकार के नियम बनाने से कुछ नहीं होता, जब तक लोग उसे फॉलो न करें। सभी ने इस महामारी को गंभीरता से लिया और निभाया भी। वर्तमान समय में कोई मास्क व हैंड सेनेटाइजर की जरूरत नहीं है। अब स्कूल, कॉलेज, मॉल, सुपर मार्केट, पार्क ओपन हो चुके हैं। लेकिन इंटरनेशनल बॉर्डर अभी नहीं खोले गए हैं।

प्रीता का परिचय
न्यूजीलैंड में इंडियन रेडियो के न्यूज डिपार्टमेंट की पूर्व हेड प्रीता व्यास फ्री लांसर जर्नलिस्ट भी हैं। वह हिंदी भाषा व साहित्य की संस्था से जुड़ी हैं। वह राइटर हैं और अभी तक उनकी कई 4 बुक्स पब्लिश हो चुकी हैं।

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