छह माह पूर्व भाजपा सरकार ने प्रदेश की अवैध कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा की थी, इसमें ग्वालियर जिले की 696 कॉलोनियों को चिन्हित किया गया था। उसमें से 516 कॉलोनियों की अधिसूचना जारी हुई, इसके बाद कार्रवाई शुरू हुई तो 130 अवैध कॉलोनियों को ही वैध किया गया था, जिसमें से पहले चरण में वैध हुईं 63 कॉलोनियों को विकास कार्य कराने के लिए चुना। इनमें से अधिकतर रसूखदार कॉलोनाइजरों की कॉलोनियां हैं। अब प्रदेश में सरकार बदल गई है तो अवैध कॉलोनियों में रहने वाले लोग इस असमंजस में हैं कि नई सरकार विकास कार्य करवाएगी या अवैध कॉलोनियों को लेकर उसका रुख कुछ और रहेगा।
130 कॉलोनियों में होगा काम
ग्वालियर ग्रामीण की
ले आउट हो रहा तैयार
शहर की 690 अवैध कॉलोनी का ले आउट तैयार करने के लिए निविदा आमंत्रित की गई थी। इसके बाद 63 कॉलोनियों के ले आउट बनाने का काम शुरू किया गया था, जिनमें से दो दर्जन से अधिक कॉलोनी के ले आउट बन पाए थे। इसके अलावा नक्शों को अपलोड भी किया जा रहा है।
267 को किया था प्रतिबंधित
नगर निगम ने 696 में से 267 अवैध कॉलोनियां ऐसी मानी थीं, जो नजूल या नाले की भूमि पर बनी थीं, जिन पर किसी भी तरह का निर्माण नहीं किया जा सकता था।
यह हैं अवैध कॉलोनियां
पवनसुत कॉलोनी, गोवर्धन कॉलोनी, सैनिक कॉलोनी, नवग्रह कॉलोनी, चन्द्रनगर, तुलसी विहार, सिद्ध बाबा की पहाड़ी, खुरैरी, नारायण विहार, कृष्णा नगर पहाडिय़ा, बेलदार पुरा, बाबा की पहाडिय़ा, कैंसर पहाडिय़ा, गुढ़ा क्षेत्र का बारह बीघा इलाका आदि।
यह था तय
जिन कॉलोनियों को वैध करने के बाद विकास कार्य कराने थे, उसके लिए यह तय हुआ कि निम्न आय वर्ग के लोग जिन कॉलोनियों में रहते हैं, वहां विकास के लिए बीस प्रतिशत उस क्षेत्र के रहवासियों से एवं 80 प्रतिशत नगर निगम अंशदान देगी। जिन कॉलोनियों में मध्यम और वीआइपी लोग रहते हैं, वहां 50-50 प्रतिशत पैसा विकास के लिए रहवासी और नगर निगम देगी। खास बात यह है कि विकास तो नहीं हुआ, लेकिन वहां के रहवासियों से संपत्तिकर के साथ विकास के नाम पर पैसा नगर निगम वसूलने लगी।
मिलना था राजस्व
नगर निगम को इन अवैध कॉलोनियों का निर्माण करने वाले कॉलोनाइजरों से लगभग 100 करोड़ रुपए राजस्व मिलना था, उसमें से 10 करोड़ रुपए भी नगर निगम को नहीं मिले हैं।
चालान पेश किया नहीं, थाने भेज दिए आवेदन
बताया गया है कि नगर निगम के एक्ट 292 (ग) के तहत अवैध कॉलोनियों का निर्माण करने वालों के विरुद्ध नगर निगम को कोर्ट में चालान पेश करना था, लेकिन निगम ने भाजपा नेताओं के दबाव में चालान पेश नहीं किया। इतना जरूर किया कि 696 अवैध कॉलोनियों के भूमि स्वामियों के खिलाफ मामला दर्ज कराने के लिए संबंधित पुलिस थानों में आवेदन भिजवा दिए। जिन लोगों के खिलाफ थानों में आवेदन भेजे गए, उनमें वह लोग हैं जिन्होंने अपनी भूमि बड़े-बड़े धन्नासेठों को कौडिय़ों के भाव में बेची थी। उन आवेदनों में एक भी कॉलोनाइजर का नाम नहीं है। यह आवेदन पुलिस थानों में बस्ते में कैद हैं।
होनी चाहिए कार्रवाई
कॉलोनियों को वैध तो होना चाहिए। वहां नगर निगम, विधायकों ने डवलपमेंट कराया है। उनको उजाडऩा संभव नहीं है, लेकिन जिन कॉलोनाइजरों ने धोखाधड़ी करके कॉलोनी काटी हैं और विकास नहीं कराया है ऐसे कॉलोनाइजरों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
मुन्नालाल गोयल, विधायक,ग्वालियर पूर्व
कार्रवाई करने नजूल विभाग से कहा है
वैध की गई कॉलोनियों में विकास कार्य कराने के लिए शासन से पैसा मांगा गया है। 696 अवैध कॉलोनियों का निर्माण कराने वालों के खिलाफ एफआइआर कराने के लिए आवेदन दिया है। 267 जो प्रतिबंधित कॉलोनियां हैं, वहां कार्रवाई के लिए नजूल विभाग से कहा गया है।
ज्ञानेन्द्र जादौन, सिटी प्लानर नगर निगम