प्रशासन की लापरवाही से बढ़े अवैध रेत के धंधे
ग्वालियरPublished: Oct 07, 2019 01:19:53 am
खदानों की नीलामी न होने से नदियों से निकल रहा रेत अब पूरी तरह से अवैध है और इसका असर आमजन द्वारा कराए जा रहे निर्माण पर पड़ रहा है। स्थिति यह है कि जो ट्रॉली ग्वालियर में 8 हजार रुपए की मिलती थी, वह अब 12 हजार रुपए तक में मिल रही है।
प्रशासन की लापरवाही से बढ़े अवैध रेत के धंधे
ग्वालियर. जिले में रेत की सप्लाई अब पूरी तरह से अवैध खदानों के जरिए की जा रही है। पिछले एक महीने में प्रशासन की सख्ती के बाद रेत के डंपरों के आने की संख्या घट गई है, लेकिन ट्रैक्टर-ट्रॉली से रेत लगातार आ रहा है। खदानों की नीलामी न होने से नदियों से निकल रहा रेत अब पूरी तरह से अवैध है और इसका असर आमजन द्वारा कराए जा रहे निर्माण पर पड़ रहा है। स्थिति यह है कि जो ट्रॉली ग्वालियर में 8 हजार रुपए की मिलती थी, वह अब 12 हजार रुपए तक में मिल रही है।
रेत हो रहा महंगा
नदियों से अवैध रूप से आने वाला रेत कुछ सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से शहर में आ रहा है। ट्रैक्टर-ट्रॉली से रेत का अवैध व्यवसाय कर रहे कुछ लोगों ने बताया कि पहले ग्वालियर तक रास्ते का खर्च 2 हजार रुपए लगता था, अब एक हजार रुपए बढ़ गए हैं, इसलिए रेत की ट्रॉली के दाम भी बढ़ा दिए हैं। इसके अलावा कम से कम 60 रुपए घनफीट के हिसाब से रेत की ट्रॉली रात में ही डलवाने की शर्त रखी जाती है। सख्ती के बीच आमजन को रेत खरीदना लगभग 3 हजार रुपए महंगा पड़ रहा है।
इसलिए होना है नीलाम
मध्यप्रदेश रेत खनिज नियम-2019 प्रभावी होने के बाद जिले में 10 खदानों को चिह्नित किया गया है। इनको इ-निविदा के माध्यम से कॉन्ट्रैक्ट पर दिया जाना है। पूर्व में सरकार ने माइनिंग कॉर्पोरेशन द्वारा सरेंडर की सभी खदानों सहित अन्य खदानों को पंचायत के माध्यम से संचालन किए जाने की प्लानिंग तैयार की थी, लेकिन बाद में सरकार ने इसे बदल दिया और अब फिर से नीलामी के जरिए ही रेत खदानें आवंटित की जाएंगी।