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जीवन जीने की पद्धति सुधारकर अपना लोक-परलोक सुधारें : वैंकटेश प्रपन्नाचार्य

locationग्वालियरPublished: Sep 26, 2022 11:15:11 pm

Submitted by:

Narendra Kuiya

- माहेश्वरी भवन की श्रीमद्भागवतकथा में कृष्ण-रुकमणि की मोहिनी सूरत देख श्रद्धालु मुग्ध

जीवन जीने की पद्धति सुधारकर अपना लोक-परलोक सुधारें : वैंकटेश प्रपन्नाचार्य
जीवन जीने की पद्धति सुधारकर अपना लोक-परलोक सुधारें : वैंकटेश प्रपन्नाचार्य
ग्वालियर. माहेश्वरी भवन डीडवाना ओली में हो रही श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन भगवान श्रीकृष्ण और लक्ष्मी स्वरूपा रुकमणि की मोहिनी छवि देख श्रद्धालु मुग्ध हो गए। कृष्ण-रुकमणि के विवाह में श्रद्धालुओं ने बारात में शामिल होकर बैंडबाजों की धुन पर उल्लासित होकर नृत्य किया। मंगलवार को कथा का विश्राम दिवस है। इस मौके पर कृष्ण-सुदामा की कथा होगी। छठे दिन व्यासपीठ से कथा व्यास वैंकटेश प्रपन्नाचार्य महाराज ने कहा कि हमारा जीवन तो प्रभु के हाथ में हैं, लेकिन जीवन जीने की पद्धति हमारे हाथ में हैं, जिसे बेहतर बनाकर हम अपना लोक परलोक सुधार सकते हैं। उन्होंने कहा कि लोग अपने कर्मों की समीक्षा करने की बजाय दूसरे के गुणों-अवगुणों को देखा करते हैं। दूसरों की निंदा करने वाले कभी धार्मिक नहीं हो सकते हैं। जिस धर्म में कटुता है ऐसे धार्मिक लोगों से दूर रहें। हम अंत:करण की स्वच्छता नहीं करते और बाहर वाइपर घुमाते रहते हैं। जिस दिन सब अपनी-अपनी खुद की समीक्षा शुरू कर देंगे, सारा संसार ठीक हो जाएगा।
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