दाल बाजार (लश्कर)
यहां खेरिज से लेकर थोक की दुकानें है। जब-जब बाजार खुलने की अनुमति हुई। यहां ग्राहकों की जमकर भीड़ उमडी। कई बार जाम भी लगा। दुकानों पर एक साथ दस से बारह लोग खड़े रहे। ग्राहक हो या दुकानदार सोशल डिसटेंसिग की धज्जियां उड़ाते रहे, लेकिन एफआइआर करने मे कंजूसी बरती गई। 31 दिनों में दाल बाजार की कोतवाली थाने में सिर्फ एक ही एफआइआर हुई। इससे मालूम चलता है कि इतने बढ़े बाजार में एक ही दुकानदार ने नियम का पालन नहीं किया। हालांकि कोतवाली थाने में लॉकडाउन उल्लंघन की 10 एफआइआर हुई, लेकिन सभी अलग जगह की है।
यह बाजार भी काफी मायने रखता है। मुरार, थाटीपुर के अलावा आस-पास के ग्रामीण इलाकों के लोग यहां खरीददार करने आते है। यहां दुकानों के बाहर गोले तो बना दिए थे लेकिन उनका पालन बिल्कुल नहीं हुआ। दुकानों पर ग्राहक की भीड़ रही, दुकानदार भी सोशल डिसटेंसिग को भुलाकर कमाई में लगा रहा। गर्म सडक पर सब्जी के ठेलों पर भी ग्राहकों की भीड़ उमड़ती रही। पुलिस ने दिखावे के लिए बेरीकेट्स तो लगा दिए लेकिन नियमों का पालन नहीं करा सके। इन 31 दिनों में यहां एक भी एफआइआर नहीं हुई। जैसे सभी ने लॉकडाउन का पालन किया हो।
हजीरा (ग्वालियर)
यहां तो सुबह से ही लोगों ने और दुकानदारों ने सोशल डिसटेंसिंग की धज्जियां उड़ाई। हजीर चौराहा से लेकर चार शहर नाका तक दुकानों पर भीड़ उमडती रही। चोरी छिपे लोगों ने दुकानें भी खोलकर ग्राहकों की भीड़ जुटाई। ठेलों पर भी भीड लगी रही। मजदूर का जमघट लगा रहा। सोशल डिसटेंसिग की सरेआम धज्जियां उडी लेकिन हजीरा थाने में इस बाजार में एफआइआर जीरो रही। इतने दिनों मे एक एफआइआर जरूर हुई लेकिन वो दुर्गा विहार कॉलोनी की।
पुलिस का ध्यान मुख्य बाजारों पर न रहकर गली-मोहल्लों की दुकानों पर ज्यादा रहा। इन दुकानदारों पर पुलिस ने जमकर एफआइआर की। आंकडे बताते है कि इन 31 दिनों में शहर के सभी थानों में लॉकडाउन उल्लंघन के 76 मामले दर्ज हुए।
ग्वालियर, पड़ाव, मुरार, तिघरा में तो लॉकडाउन उल्लंघन की एफआइआर का खाता हंीं नहीं खुला। जैसे यहां सोशल डिसटेंसिंग का पूर्णत: पालन कराया गया हो। पुरानी छावनी, क्राइम, हजीरा, गोला का मंदिर में मात्र एक एफ आईआर कर खाता ही खोल सके।