विकास कहते हैं कि जहन में जो विचार आते हैं उन्हें बोलने से ज्यादा आकार देने में सुकून मिलता है, क्योंकि बोली हुई बात तो मुंह से निकलने के बाद खत्म हो जाती है, लेकिन कलाकृति हमेशा उस विचार की याद दिलाती है। उनके अंदर हुनर देखकर माता-पिता और सहयोगियों ने बाल भवन तक पहुंचाया, उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। दुनिया में होने वाले घटनाक्रम, जिंदगी के विविध रूप-रंग, जानवरों की तमाम आकृतियां मिट्टी पर उकेरीं। लोगों ने उन्हें सराहा तो आगे बढ़ने का हौसला बढ़ता गया, इसलिए हिम्मत कर मिट्टी को ही जीवन यापन का जरिया बनाने का निर्णय।
विकास के मुताबिक उनकी यादगार कलाकृतियों में एल्डर मैन की प्रतिमा है। इसमें मिट्टी से बुजुर्ग की आकृति बनाकर उसे लोहे के तारों से बांधा है। यह प्रतिमा दर्शाती है कि घर का बुजुर्ग व्यक्ति किस तरह जिम्मेदारियों से बंधने की वजह से लोहे की तरह सख्त हो जाता है। इस प्रतिमा और विचार को लोगों ने काफी सराहा था। इससे आगे बढ़ने का काफी हौसला मिला। इसके अलावा मानसिंह यूनिवर्सिटी के लिए बुजुर्ग महिला की आकृति बनाई, इसे भी लोगों ने काफी पंसद किया। इस प्रतिमा को शबरी का नाम दिया गया। हाल में सूरजकुंड में विशाल प्रतिमा भी बनाई है।