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प्रसूताओं व नवजात की जान डाल रहे संकट में, गर्भवती के आते ही कर देते हैं रेफर

locationग्वालियरPublished: Aug 21, 2018 06:53:56 pm

Submitted by:

Rahul rai

आंकड़ों की मानें तो हर दिन 10 से 15 गर्भवती रेफर होकर जेएएच पहुंचती हैं। इतना ही नहीं ग्वालियर संभाग के सात जिलों के सरकारी अस्पतालों से सालभर में करीब 4000 से ज्यादा गर्भवती महिलाओं को रेफर किया जाता है

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प्रसूताओं व नवजात की जान डाल रहे संकट में, गर्भवती के आते ही कर देते हैं रेफर

ग्वालियर। प्रसव के रेफरल केस न केवल लाइलाज बीमारी बनते जा रहे हैं, बल्कि ये प्रसूताओं व नवजात की जान भी संकट में डाल रहे हैं। आंकड़ों की मानें तो हर दिन 10 से 15 गर्भवती रेफर होकर जेएएच पहुंचती हैं। इतना ही नहीं ग्वालियर संभाग के सात जिलों के सरकारी अस्पतालों से सालभर में करीब 4000 से ज्यादा गर्भवती महिलाओं को रेफर किया जाता है। रेफरल में जिला अस्पताल मुरार का प्रसूति गृह अव्वल है।
रेफरल के पीछे पर्याप्त स्टाफ और संसाधनों का अभाव बताकर गर्भवती महिलाओं को कमलाराजा अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। यहां करीब 15 प्रसूताएं रेफर होकर पहुंचती हैं। मुरार प्रसूति गृह से बिना कारण ही प्रसूताओं को रेफर कर दिया जाता है। रेफर किए जाने को दो एेसे मामले बीते दिन में सामने आए हैं जिनमें प्रसव ऑटो में हुए। पहले भी इस तरह की कई घटनाएं हो चुकी हैं, फिर भी रेफर पर लगाम नहीं लग रही है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा इस तरफ ध्यान नहीं दिए जाने के कारण स्थिति और बिगड़ती जा रही है, इसका खामियाजा गर्भवती महिलाओं को उठाना पड़ता है। रेफर किए जाने पर कई बार गर्भवती महिलाओं की जान पर बन जाती है, कई ऐसी घटनाएं भी हो चुकी हैं, जिनमें रेफर करने पर गर्भवती की स्थिति बिगडऩे पर जान चली गई है।
ये हैं तीन कारण
डिले इन डिसीजन मेकिंग प्रसूता को घर से अस्पताल तक ले जाने में देरी।
डिले इन रैफर: अस्पताल से उच्च संस्थान अस्पताल में शिफ्ट करवाने का निर्णय लेने में देरी।
डिले इन ट्रांसपोर्ट: अस्पताल ले जाने के मार्ग में देरी होने से प्रसव होते हैं।
फैक्ट फाइल
संस्था रेफर
मुरार 425
माधौगंज 135
लक्ष्मीगंज 54
बिरलानगर 36
बिलौअ ा 45
डबरा 90
भितरवार 54
वीरपुर 18
लधेड़ी 18

जानकारी मांगी जाएगी
जेएएच में रैफरल केस ज्यादा आ रहे हैं, जबकि कई मामलों में प्रसूति गृहों में ही नार्मल डिलीवरी की जा सकती है। रैफरल केस की जानकारी मांगी जाएगी।
डॉ.जेएस सिकरवार, अधीक्षक, जेएएच

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