scriptजिस जमीन को किसान ने बुजुर्ग आश्रम के लिए रखा था, उसमें कॉलोनाइजर ने निकाल दिया रास्ता | In the land that the farmer had kept for the elderly ashram, the colon | Patrika News

जिस जमीन को किसान ने बुजुर्ग आश्रम के लिए रखा था, उसमें कॉलोनाइजर ने निकाल दिया रास्ता

locationग्वालियरPublished: Oct 20, 2019 07:56:44 pm

Submitted by:

Dharmendra Trivedi

-एसडीएम बोले:जांच करना नहीं है हमारा काम
कलेक्टर से लेकर कमिश्नर तक सभी से की जा चुकी है शिकायत

In the land that the farmer had kept for the elderly ashram, the colon

In the land that the farmer had kept for the elderly ashram, the colon

ग्वालियर। शहर का परिवार जिस पुश्तैनी जमीन के एवज में बुजुर्गों के लिए आश्रम खोलने की मंशा रखता था, उसको पता भी नहीं चला और जमीन खुर्दबुर्द हो गई। अब कॉलोनाइजर इस जमीन में से रास्ता निकालने के लिए काम करवा रहा है और दस्तावेजों में उलझी यह जमीन मुक्त कराने के लिए वास्तविक हकदार एसडीएम, तहसीलदार और कलेक्टर के चक्कर लगा रहा है। खास बात यह है कि अधिकारियों ने सीएम हेल्पलाइन में लगी शिकायत का भी गलत उत्तर देकर शासन को भी गुमराह कर दिया और तत्कालीन एसडीएम जमीन की जांच के मामले को लगातार अटकाए रहे। अब नए एसडीएम के पहुंचने के बाद इसकी नए सिरे से जांच होने की उम्मीद जताई जा रही है। जमीन पर मालिकाना हक जता रहे आवेदक ने बीते दिवस कलेक्टर अनुराग चौधरी से मिलकर पूरी बात रखी तो उन्होंने जांच कराने का आश्वासन दिया है।
ऐसे बदले नाम


-मोहना में घमंडीलाल, प्रभुदयाल के नाम से जमीन थी। 1990-91 में घमंडीलाल के फोथ हो जाने के बाद मुन्नी बेवा घमंडीलाल, महेन्द्र कुमार, गुड्डी, मीना, मंजू, रचना के नाम 0.899 हैक्टेयर समान भाग हो गई।
-बाद में प्रभु दयाल द्वारा कुछ हिस्सा बेचने पर रकवा 0.813 हैक्टेयर बचा। इसके बाद कागजों में हेरफेर करवाकर प्रभुदयाल के नाम पर 1.808 हैक्टेयर रकवा दर्ज हो गया,लेकिन इसके बारे में राजस्व विभाग जानकारी नहीं दे रहा है।
-खसरे के पेज 82 पर प्रभुदयाल के स्वर्गवास के बाद पंचायत के ठहराव-प्रस्ताव क्रमांक 19 के आधार पर 7 जून 2001 को नामांकन अशोक कुमार और शकुंतला देवी के नाम पर हो गया था। इसका भी रिकॉर्ड न तो पंचायत में मिला है और न तहसील रिकॉर्ड में दर्ज है। सिर्फ पंचायत की टीप ही संलग्न की गई है।
-सर्वे नंबर 1260/4 और 1261 को इकजाई कर दिया गया, लेकिन यह किसके आदेश से हुआ यह स्पष्ट नहीं किया गया। इस सर्वे नंबर में भू स्वामियों का रकवा 4.88 हैक्टेयर था,जिसको बाद में 5.643 हैक्टेयर कर दिया।
-रजिस्ट्री में विक्रेताओं के नाम ऊपर की तीन लाइन में कटे हुए हैं। रजिस्ट्री में सडक़ से 100 फुट भूमि होने का हवाला दिया गया है, जबकि राजस्व कर्मी सडक़ से लगी हुई भूमि को ही रिकॉर्ड में ढूंढ रहे हैं।
ऐसे हुई गड़बड़
-अशोक कुमार जैन ने आवेदनकर्ता की भूमि को पवन शर्मा सहित एक अन्य के नाम पर बेच दिया। जबकि सरकारी रिकॉर्ड में अशोक कुमार के नाम यह भूमि नहीं है।

-शासकीय रिकॉर्ड में बेचने-खरीदने वालों का प्रकरण उपलब्ध न होने के बाद नामांकन और रजिस्ट्री निरस्त करने के लिए आवेदन दिया गया था।
-आरोप है कि तहसीलदार ने बिना पढ़े और बिना जांच किए सीएम हेल्पलाइन पर रिपोर्ट दे दी।
-आवेदनकर्ता ने सर्वे नंबर 1260/4 मिन और 1261 सर्वे की जांच के लिए आवेदन दिया था और राजस्व अधिकारी सर्वे नंबर 161 लिखकर दे रहे हैं।
-सरकारी रिपोर्ट में निर्धारित सर्वे नंबर से खाते की जमीन को दूर बताया जा रहा है। जबकि नक्शे में यह भूमि सर्वे नंबरों से सटी हुई है।

-मोहना में हाइवे से लगी हुई हमारी पुश्तैनी जमीन है, इस जमीन पर स्थानीय निवासी पवन शर्मा,अशोक जैन ने रजिस्ट्री करा ली। राजस्व कर्मियों ने भी इस जमीन का सीमांकन गलत तरीके से करके जमीन हथियान वाले लोगों को अपरोक्ष मदद की है। जांच के लिए हमने आवेदन दिया था,सीएम हेल्पलाइन भी लगाई थी, लेकिन क्षेत्रीय अधिकारियों ने गलत रिपोर्ट देकर वरिष्ठ अधिकारियों को भी गुमराह कर दिया। इसको लेकर हम कलेक्टर साहब से भी मिले थे, उन्होंने अब नए एसडीएम साहब से जांच कराकर निराकरण कराने का आश्वासन दिया है। हम इस जमीन का इस्तेमाल बुजुर्गों के लिए एक ग्रह बनाने के लिए उपयोग करना चाह रहे हैं, लेकिन कॉलोनाइजरों के रसूख की वजह से हमारी ही जमीन हमको नहीं मिल पा रही है।
कैलाश शर्मा, निवासी-ग्वालियर

ट्रेंडिंग वीडियो