-मोहना में घमंडीलाल, प्रभुदयाल के नाम से जमीन थी। 1990-91 में घमंडीलाल के फोथ हो जाने के बाद मुन्नी बेवा घमंडीलाल, महेन्द्र कुमार, गुड्डी, मीना, मंजू, रचना के नाम 0.899 हैक्टेयर समान भाग हो गई।
-खसरे के पेज 82 पर प्रभुदयाल के स्वर्गवास के बाद पंचायत के ठहराव-प्रस्ताव क्रमांक 19 के आधार पर 7 जून 2001 को नामांकन अशोक कुमार और शकुंतला देवी के नाम पर हो गया था। इसका भी रिकॉर्ड न तो पंचायत में मिला है और न तहसील रिकॉर्ड में दर्ज है। सिर्फ पंचायत की टीप ही संलग्न की गई है।
-रजिस्ट्री में विक्रेताओं के नाम ऊपर की तीन लाइन में कटे हुए हैं। रजिस्ट्री में सडक़ से 100 फुट भूमि होने का हवाला दिया गया है, जबकि राजस्व कर्मी सडक़ से लगी हुई भूमि को ही रिकॉर्ड में ढूंढ रहे हैं।
-अशोक कुमार जैन ने आवेदनकर्ता की भूमि को पवन शर्मा सहित एक अन्य के नाम पर बेच दिया। जबकि सरकारी रिकॉर्ड में अशोक कुमार के नाम यह भूमि नहीं है। -शासकीय रिकॉर्ड में बेचने-खरीदने वालों का प्रकरण उपलब्ध न होने के बाद नामांकन और रजिस्ट्री निरस्त करने के लिए आवेदन दिया गया था।
-आरोप है कि तहसीलदार ने बिना पढ़े और बिना जांच किए सीएम हेल्पलाइन पर रिपोर्ट दे दी।
-सरकारी रिपोर्ट में निर्धारित सर्वे नंबर से खाते की जमीन को दूर बताया जा रहा है। जबकि नक्शे में यह भूमि सर्वे नंबरों से सटी हुई है।
-मोहना में हाइवे से लगी हुई हमारी पुश्तैनी जमीन है, इस जमीन पर स्थानीय निवासी पवन शर्मा,अशोक जैन ने रजिस्ट्री करा ली। राजस्व कर्मियों ने भी इस जमीन का सीमांकन गलत तरीके से करके जमीन हथियान वाले लोगों को अपरोक्ष मदद की है। जांच के लिए हमने आवेदन दिया था,सीएम हेल्पलाइन भी लगाई थी, लेकिन क्षेत्रीय अधिकारियों ने गलत रिपोर्ट देकर वरिष्ठ अधिकारियों को भी गुमराह कर दिया। इसको लेकर हम कलेक्टर साहब से भी मिले थे, उन्होंने अब नए एसडीएम साहब से जांच कराकर निराकरण कराने का आश्वासन दिया है। हम इस जमीन का इस्तेमाल बुजुर्गों के लिए एक ग्रह बनाने के लिए उपयोग करना चाह रहे हैं, लेकिन कॉलोनाइजरों के रसूख की वजह से हमारी ही जमीन हमको नहीं मिल पा रही है।