तानसेन समारोह 2019 : 95 वर्ष का हुआ तानसेन समारोह , 1924 में लिया था जन्म
अबु फजल ने तानसेन के बारे में लिखा है कि मियां तानसेन ग्वालियर वाले के समान कोई गायक पिछले एक हजार साल में भारतवर्ष में नहीं हुआ है। अबुल फजल ने फारसी में लिखी अपनी पुस्तक में तानसेन की महिमा का जिक्र करते हुए लिखा है कि भारतीय इतिहास के प्रति संसार में रुचि है, जब तक अबुल फजल और अकबर के इतिहास को पठनीय समझा जाएगा तब तक ग्वालियर की संगीत परंपरा को विस्मृत नहीं किया जा सकता। न ही इसके महत्व को कम किया जा सकता है। तानसेन के बारे में कहा गया है कि भूतो भविष्यन्नपि वर्तमानो, न तानसेन: सदृश्यो धरण्याम अर्थात भू, वर्तमान और भविष्य में भी पृथ्वीमण्डल पर तानसेन के समान न कोई कलावंत हुआ है और न होगा।
गुरु शिष्य परंपरा को आगे बढ़ा रहे युवा कलाकार
गुरु शिष्य परंपरा के माध्यम से युवा कलाकार ग्वालियर घराने की विशेषताओं को आत्मसात कर देश-विदेश में ग्वालियर का नाम रोशन कर रहे हैं। ग्वालियर घराने के प्रख्यात ख्याल गायक हस्सू खां, हद्दू खां के दादा नत्थन पीरबख्श को ग्वालियर घराने का जन्मदाता कहा जाता है। नत्थन पीरबख्श लखनऊ से ग्वालियर आए थे। उस समय ग्वालियर में मोहम्मद खां ग्वालियर रियासत के राजगायक हुआ करते थे। मोहम्मद खां और नत्थन पीरबख्श ने ग्वालियर घराने को स्थापित किया,उसे हद्दू खां, हस्सू खां और नत्थू खां ने आगे बढ़ाया। इसी परंपरा के बालकृष्ण बुआ थे, उनके शिष्य पं. विष्णु दिगंबर पलुस्कर, उनके शिष्य ओंंकारनाथ ठाकुर, विनायकराव पटवर्धन, नारायण राव व्यास तथा वीए कशालकर हुए। उन्होंने भारतीय संगीत का प्रचार किया। उसी समय कीर्तनकार विष्णु पंडित ग्वालियर आए , उनके पुत्र शंकर पंडित, एकनाथ पंडित एवं गोपाल पंडित हस्सू खां हद्दू खां का गायन सुनने जाते थे। बाद में राज गायक निसार हुसैन खां को अपने घर लाए तब उन्होंने शंकर पंडित ,एकनाथ पंडित को संगीत की शिक्षा दी।
वे ग्वालियर के अच्छे गायकों के रुप में स्थापित हुए।शंकर राव के पुत्र कृष्णराव पंडित तथा राजा भैया पूछवाले आदि गायकों ने ग्वालियर की गायकी को को आगे बढाया, फिर कृष्णराव पंडित के लड़के नारायण राव व लक्ष्मण राव पंडित ने इस घराने को आगे बढ़ाया अब लक्ष्मण राव की बेटी मीता पंडित इस घराने की परंपरा को आगे बढ़ा रहीं हैं।
ये है युवा पीढ़ी
ग्वालियर के सुविख्यात सरोद वादक अमजद अली खां के पुत्र अमान अली और अयान अली के साथ ही उनके शिष्यगण सरोद की लोकप्रियता को कायम रखे हुए हैं। ग्वालियर की ही शास्त्रीय गायिका शाश्वती मंडल, यश देवले, गायक उमेश कंपूवाले के पुत्र आरोह कंपूवाले, निर्भय सक्सेना सहित कई युवा कलाकार ग्वालियर के संगीत की ध्वजा को देश में लहरा रहे हैं।
ये हैं ग्वालियर घराने की विशेषताएं