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 देश का पहला सोलर पैनल जिससे चलाया 10 हजार वॉट का सबमर्सिबल पंप

locationग्वालियरPublished: Oct 20, 2016 10:17:00 am

Submitted by:

Gaurav Sen

 आदिवासी गांव दंगपुरा में सोलर पैनल से प्राप्त ऊर्जा से 10 हजार वॉट का सबमर्सिबल पंप संचालित किया जा रहा है। 

solar panel

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ग्वालियर/मुरैना। सोलर पैनल से लिफ्ट एरीगेशन (उद्वहन सिंचाई) का पहला प्रयोग आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र मुरैना ने किया है। 

आदिवासी गांव दंगपुरा में सोलर पैनल से प्राप्त ऊर्जा से 10 हजार वॉट का सबमर्सिबल पंप संचालित किया जा रहा है। रबी सीजन में किसानों को इससे फसलों की सिंचाई के लिए भरपूर पानी उपलब्ध होगा। 50 हजार लीटर प्रति घंटा पानी उठाने वाले इस पंप से 80 एकड़ कृषि भूमि को सींचा जा सकेगा।

बेसली नदी पर बने स्टॉप डैम के पास करीब 28 लाख रुपए की लागत से सामूहिक सोलर चलित लिफ्ट सिंचाई प्रयोग किया गया है। इसके लिए राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विवि ने 70 फीसदी अनुदान प्रदान किया है। सहरिया आदिवासी गांव विजयपुर के दंगपुरा में क्वारी नदी से 1500 मीटर की दूरी पर स्थित है। गांव में कुल 62 परिवार निवास करते हैं। 415 की कुल आबादी वाले इस गांव में सभी लघु व सीमांत किसान हैं। हालांकि सालाना बरसात का औसत यहां 750 एमएम है, लेकिन यह बरसात जुलाई व अगस्त में ही हो जाती है।


उसके बाद सिंचाई की समस्या होती है। खरीफ में बाजरा, तिल व मंूग तथा रबी में गेहूं, सरसों व चने की फसल लेने वाले किसानों को सिंचाई प्रबंध न होने से आधी ही उपज प्राप्त होती थी। नवीन तकनीकी जानकारी का अभाव में पानी की उपलब्धता न होने से किसान परेशान थे। पूरे गांव की प्रति परिवार औसत आय डेढ़ से दो हजार के बीच है। मजबूरी में आदिवासी किसानों को सतावार, संखावली, गोंद, छाल, जड़, फल, फली व जंगली सब्जी पर आजीविका के लिए निर्भर रहना पड़ता है। कुछ समय पहले गांव में बिजली की आपूर्ति के लिए लाइन बिछाई गई थी, लेकिन उसे चोर काट ले गए उसके बाद समस्या खड़ी हो गई।


प्रति एकड़ 35 हजार का खर्च
पूरी इकाई की स्थापना पर 28 लाख रुपए का खर्च आया है। इस प्रकार प्रति एकड़ यह खर्च 35 हजार रुपए बैठता है। जैन एरीगेशन ने इसमें 30 प्रतिशत का अनुदान दिया है। इससे प्रति एकड़ खर्च घटकर 24 हजार रुपए रह गया है। किसान अब उपयुक्त तकनीक और पर्याप्त सिंचाई के माध्यम से फसल उत्पादन और क्वालिटी बढ़ा सकेंगे। इसके लिए उन्हें सरसों सहित अन्य फसलों के उन्नत बीज भी दिए जा रहे हैं।


वैज्ञानिकों ने भ्रमण के बाद किया चयन
राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विवि की अखिल भारतीय समन्वित सिंचाई जल प्रबंधन परियोजना के तहत गांव का भ्रमण किया। यहां भूमिगत पाइप लाइन के माध्यम से ड्रिप, स्प्रिंकलर व पाइप लाइन से सिंचाई की संभावनाएं तलाशीं, क्योंकि डीजल पंप से सिंचाई प्रबंधन महंगा साबित हो रहा था। इसलिए सौर ऊर्जा से चलित मोटर से पानी उठाने के उपाय पर विचार किया गया। परियोजना के तहत किसानों के नगण्य खर्च व पर्यावरण के लिहाज से उपयोगी सोलर प्लांट से पंप स्थापित कर चलाने का निर्णय लिया गया। 

सामुदायिक रूप से 10 हजार वॉट शक्ति चलित सबमर्सिबल पंप स्थापित किया गया। इससे भूमिगत पाइप लाइन के माध्यम से 32 हजार हैक्टेयर भूमि में 58 परिवारों को सिंचाई का लाभ दिया गया। 10 हजार वॉट की मोटर को चलाने के लिए सौर ऊर्जा के 250 वॉट के कुल 40 पैनल लगाए गए। अब ड्रिप, स्प्रिंकलर के माध्यम से 10 एकड़ सहित कुल 80 एकड़ में सिंचाई की जा सकेगी।

दंगपुरा गांव के पास क्वारी नदी के स्टॉप डैम पर सौर ऊर्जा से लिफ्ट एरीगेशन का देश का पहला प्रयोग किया गया है। इससे 80 एकड़ में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी। 28 लाख की लागत से स्थापित इस पंप से आदिवासी गांव की दिशा और दशा दोनों सुधरेंगी।
डॉ. वायपी सिंह, मुख्य वैज्ञानिक व प्रभारी अभा समन्वित सिंचाई जल प्रबंधन परियोजना

NEWS BY: रवींद्र सिंह कुशवाह ( Morena)

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