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भारतीय सेना के जवान को मिला न्याय, पत्रिका की खबर का हुआ असर

locationग्वालियरPublished: Mar 26, 2019 11:58:48 am

Submitted by:

Gaurav Sen

भारतीय सेना के जवान को मिला न्याय, पत्रिका की खबर का हुआ असर

indian army constable laxmi narayan gurjar case of crop

भारतीय सेना के जवान को मिला न्याय, पत्रिका की खबर का हुआ असर

मुरैना. भारतीय सेना की 35 राष्ट्रीय राइफल्स के हवलदार लक्ष्मीनारायण गुर्जर को पुलिस अधीक्षक असित यादव के हस्तक्षेप से न्याय मिल गया है। परिजनों द्वारा जमीन पर कब्जा कर लेने और फसल काटकर अपने पास रख लेने से आहत जवान लंबे समय से न्याय के लिए भटक रहा था। लेकिन अब पुलिस ने न केवल उसके हिस्से की जमीन से काटी गई फसल जवान को दिलवा दी है बल्कि दोनों पक्षों को बैठाकर विवाद का भी निराकरण करवा दिया है।

सेना के जवान की पीड़ा को पत्रिका ने 20 मार्च 2019 को ‘दुश्मन से जीत रहा सेना का जवान घर में हारा’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। इसके बाद पुलिस अधीक्षक ने बानमोर एसडीओपी शशिभूषण रघुवंशी को निर्देश दिए कि सेना के जवान की फसल जिन लोगों ने काटकर अपने कब्जे में रख ली है, उनसे धारा 145 के तहत जब्ती की कार्रवाई करें। एसडीओपी ने तुरंत अपने अधीनस्थ अधिकारियों को कार्रवाई के लिए कहा। पुलिस ने जब फसल जब्ती की कार्रवाई शुरू की तो सामने वाला पक्ष पटरी पर आ गया। इसके बाद दोनों पक्षों ने पुलिस के समक्ष बैठकर समझौता कर लिया और खेतों से काटकर जबरन अपने कब्जे में रखी सेना के जवान की सरसों की फसल उसे वापस कर दी।

रिठौरा थाना क्षेत्र के ग्राम खरिका निवासी सेना में हवलदार लक्ष्मीनारायण इस समय जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में पदस्थ हैं। पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच सेना के जवानों को 24 घंटे सतर्क रहकर ड्यूटी करनी पड़ रही है, लेकिन सेना का यह जवान एक साल से पारिवारिक विवाद के कारण तनाव में था और ड्यूटी भी ठीक से नहीं कर पा रहा था। इस संबंध में सेना के कमान अधिकारी सौरभ नारायण डे ने 12 जून 2018 को तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अमित सांघी को सेना के जवान की व्यथा लिखकर मदद का अनुरोध भी किया था, लेकिन जवान को न्याय नहीं मिल पाया।

जब यह मामला पत्रिका ने उठाया तो पुलिस अधीक्षक ने जवान को बुलाकर उसकी पूरी बात सुनी और एसडीओपी को कार्रवाईके निर्देश मिले। इसके बाद जवान को न्याय मिला और व खुश है। इससे पहले जवान की पत्नी सीमा ने अपने हिस्से की फसल लेने का प्रयास किया तो बाहुबलियों ने इनकार कर दिया था।मजबूरी में जवान को अवकाश लेकर न्याय की लड़ाई लडऩे मुरैना आना पड़ा। सेना के जवान लक्ष्मीनारायण गुर्जर का कहना है कि अब उसे न्याय मिल गया और वह अपनी ड्यूटी ईमानदारी, जिम्मेदारी और बहादुरी से कर सकेगा।

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