– 10 हजार रुपए लेट फीस देनी होगी। – डिफॉल्टरों को एक्टिव नॉन कम्पलांयट घोषित किया जाएगा।
– इनके डायरेक्टर और रजिस्टर्ड ऑफिस बदलने पर भी पाबंदी होगी।
प्राइवेट एवं पब्लिक लिमिटेड कंपनियों की केवायसी की तारीख बढ़ाने की मांग कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया टै्रडर्स (कैट) ने की थी। इसके लिए कैट ने अरुण जेटली एवं पीपी चौधरी को पत्र लिखकर 19 अप्रेल को दिल्ली में मुलाकात की थी। कैट के मध्यप्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र जैन ने बताया कि अब इसकी लेट फीस को लेकर कैट भारत सरकार के सामने अपना पक्ष रखेगी, जिसमें छोटी कंपनियों को केवायसी के दायरे से बाहर करना होगा। इसके लिए शीघ्र ही भारत सरकार के कंपनी मामलों के सचिव से भेंट कर मांग रखी जाएगी।
कॉर्पोरेट मंत्रालय की ओर से कंपनियों को केवायसी कराने की तारीख बढ़ाने से काफी राहत मिलेगी। कंपनी के इस काम में समय लग रहा था। प्रदेशभर में अभी तक करीब एक हजार कंपनियों ने ही अपनी जियोटैगिंग कराई होगी।