जांच टीम द्वारा रेलवे के छह कर्मचारियों से पूछताछ की गई, जिसमें दो डिप्टी एसएस, दो पार्सल के बुकिंग क्लर्क और एक इलेक्ट्रिकल का कर्मचारी शामिल है। इन कर्मचारियों से पूछा कि आग की सूचना आपको कैसे लगी, आप कहां थे, आग बुझाने में किसी कर्मचारी ने मदद की या नहीं, फायर ब्रिगेड कब आई।
रविवार को सुबह से रेलवे के अधिकारी और कैंटीन से जुड़े लोगों में इस बात को लेकर खलबली मची थी कि जांच कमेटी की गाज किस पर गिरने वाली है। आपस में चर्चा में कुछ अधिकारियों ने शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगना बताते हुए कैंटीन संचालक का बचाव किया, वहीं कुछ अधिकारियों का दावा है कि आग गैस लीकेज के कारण लगी। आग के कारण को लेकर रेलवे स्टेशन पर दो गुट आमने-सामने आ गए हैं, कुछ लोग झांसी तक अधिकारियों को फोन कर अपना बचाव करने में लगे हैं।
रेलवे स्टेशन पर आग लगने की आठ घंटे तक रेलवे ने जीआरपी को सूचना नहीं दी, शुक्रवार को शाम को जीआरपी टीआई अजीत चौहान ने मामले को संज्ञान में लेकर आग हादसा दर्ज किया। जीआरपी ने रविवार को कैंटीन संचालक राजू मिश्रा को बुलाया था, लेकिन उसके बयान नहीं हो सके। जीआरपी पता लगाएगी कि आग शॉर्ट सर्किट से हुई है या गैस लीकेज से।
आग पर काबू करने के लिए फ ायर ब्रिगेड मौके पर आई। फायर ब्रिगेड कर्मचारियों को कैंटीन के अंदर 13 सिलेंडर मिले थे। कैंटीन कर्मचारियों और यात्रियों से बात करने के बाद फायर ब्रिगेड ने अपने रोजनामचे में आग का कारण गैस सिलेंडर लीकेज होना माना है। मौके पर पहुंचे लीडिंग फायर मैन देवेन्द्र जखेनिया ने बताया कि आग सिलेंडर में लीकेज होने से लगी।