लेकिन सुंदरता का यह दिखावा लोगों के लिए खतरा साबित हो सकता है, इस बारे में गंभीरता से सोचा नहीं गया है। पत्रिका टीम ने इसका जायजा लिया तो तमाम जगहों पर पेडों पर लपेट गई एलइडी के तार हादसों की वजह साबित होते मिले।
झलकारी बाई पार्क में तो खतरा हर कदम पर था। यहां पेड़ों पर महज जमीन में बिजली के नंगे तार बिछाकर पेड़ों पर ठोकी गई झालरों में करंट सप्लाई किया गया है। २४ धंटे तक लगातार हुई बारिश से पार्क पानी से लबालब रहा है उसकी गीली मिट्टी में दबे तार कई जगहों पर नंगे हैं। जाहिर है कि शाम को जब स्ट्रीट लाइट ऑन होगी तो झालरों में इन तारों से ही तेज करंट जाएगा। जबकि शाम के वक्त पार्क में तमाम बच्चों सहित लोगों की आवाजाही रहती है। नगरनिगम का विद्युत विभाग यह ताल तो ठोक रहा है कि शहर को सुंदर बनाने के लिए मेनरोड के किनारे और पार्क में करीब १०० से ज्यादा पेंडों पर झालरें लगाई है। लेकिन खुले नंगे तारों से लोगों को खतरा हो सकता है इसका ठीकरा पार्क और फुटपाथ पर आने जाने वालों के सिर पर फोड जा रहा हैै। विभाग की दलील है िझालरें लगाते समय सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा था। जहां तार खुले हैं वह लोगों की हरकत है।
झलकारी बाई पार्क में तो खतरा हर कदम पर था। यहां पेड़ों पर महज जमीन में बिजली के नंगे तार बिछाकर पेड़ों पर ठोकी गई झालरों में करंट सप्लाई किया गया है। २४ धंटे तक लगातार हुई बारिश से पार्क पानी से लबालब रहा है उसकी गीली मिट्टी में दबे तार कई जगहों पर नंगे हैं। जाहिर है कि शाम को जब स्ट्रीट लाइट ऑन होगी तो झालरों में इन तारों से ही तेज करंट जाएगा। जबकि शाम के वक्त पार्क में तमाम बच्चों सहित लोगों की आवाजाही रहती है। नगरनिगम का विद्युत विभाग यह ताल तो ठोक रहा है कि शहर को सुंदर बनाने के लिए मेनरोड के किनारे और पार्क में करीब १०० से ज्यादा पेंडों पर झालरें लगाई है। लेकिन खुले नंगे तारों से लोगों को खतरा हो सकता है इसका ठीकरा पार्क और फुटपाथ पर आने जाने वालों के सिर पर फोड जा रहा हैै। विभाग की दलील है िझालरें लगाते समय सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा था। जहां तार खुले हैं वह लोगों की हरकत है।