मन और मानसिकता का मेल होना जरूरी
प्रो प्रेम व्रत ने कहा कि आत्मनिर्भर बनने के लिए मन और मानसिकता का मेल होना जरूरी है। उन्होंने 21वीं सदी में विश्व स्तर की गुणवत्ता और आत्मनिर्भरता के लिए भारत को सही मायने में सक्षम बनाने के लिए 21 मंत्र साझा किए।
उन्होंने कहा कि देश में तेजी से आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए नीति निर्माताओं द्वारा इसे अपनाया जाना चाहिए। इसके बाद सवाल-जवाब का सत्र आयोजित किया गया, जिसमें स्टूडेंट्स ने विषय से संबंधित विभिन्न सवाल पूछे गए। आखिर में स्कूल ऑफ मैनेजमेंट की डॉ. वंदना भारती ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
प्रो प्रेम व्रत ने कहा कि आत्मनिर्भर बनने के लिए मन और मानसिकता का मेल होना जरूरी है। उन्होंने 21वीं सदी में विश्व स्तर की गुणवत्ता और आत्मनिर्भरता के लिए भारत को सही मायने में सक्षम बनाने के लिए 21 मंत्र साझा किए।
उन्होंने कहा कि देश में तेजी से आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए नीति निर्माताओं द्वारा इसे अपनाया जाना चाहिए। इसके बाद सवाल-जवाब का सत्र आयोजित किया गया, जिसमें स्टूडेंट्स ने विषय से संबंधित विभिन्न सवाल पूछे गए। आखिर में स्कूल ऑफ मैनेजमेंट की डॉ. वंदना भारती ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
ये हैं आत्मनिर्भर भारत अभियान के पांच स्तम्भ
आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण में वैश्वीकरण का बहिष्कार नहीं किया जाएगा, बल्कि दुनिया के विकास में मदद की जाएगी। मिशन को दो चरणों में लागू किया जाएगा। प्रथम चरण में चिकित्सा, वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्लास्टिक, खिलौने जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे स्थानीय निर्माण और निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके। द्वितीय चरण में रत्न एवं आभूषण, फार्मा, स्टील जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा।¿
आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण में वैश्वीकरण का बहिष्कार नहीं किया जाएगा, बल्कि दुनिया के विकास में मदद की जाएगी। मिशन को दो चरणों में लागू किया जाएगा। प्रथम चरण में चिकित्सा, वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्लास्टिक, खिलौने जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे स्थानीय निर्माण और निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके। द्वितीय चरण में रत्न एवं आभूषण, फार्मा, स्टील जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा।¿