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ये कैसा मुआवजा : पहले बातचीत, फिर पकड़े कॉलर, बालबाल बची मारपीट

locationबांसवाड़ाPublished: Aug 23, 2016 06:24:00 pm

Submitted by:

Ashish vajpayee

परमाणु बिजलीघर मुआवजा वितरण के लिए नापला में लगा शिविर, 290 विस्थापित होने वाले लोगों को मिलना है मुआवजा, पूरा मुआवजा न मिलने पर आपस में उलझे ग्रामीण, काफी देर समझाइश के बाद मामला हुआ शांत

Verbal fight among villagers on the name of Award

Verbal fight among villagers on the name of Award


जब तक पूरा मुआवजा नहीं मिलेगा तब तक कोई मुआवजा नहीं लेगा……आप मत लो हमकों तो लेने दो…क्यों लेने दो……बाद में मुकर गए तो….कोई मुआवजा नहीं लेगा….। पहले बातचीत का दौर और बाद में बात करते-करते आपस में ही उलझे। यह वाक्या जिला प्रशासन की ओर से परमाणु बिजलीघर की स्थापना के लिए अवाप्त की जा रही जमीन का अवार्ड जारी करने के लिए मंगलवार को नापला अटल सेवा केन्द्र में लगाए गए शिविर में हुआ। बांसवाड़ा एवं छोटी सरवन उपखण्ड अधिकारियों की ओर से समझाइश करने के बावजूद ग्रामीण शांत नहीं हुए एवं कई ग्रामीण बिना अवार्ड लिए ही वापस घर चले गए। इस दौरान कई बार पुलिस कार्मिकों ने आपस में उलझ रहे ग्रामीणों को अलग किया।
दो भागों में बंट गए ग्रामीण


जैसे ही सुबह शिविर प्रारम्भ हुआ वैसे ही ग्रामीणों में अवार्ड राशि को लेकर दो मत हो गए। कुछ लोग अवार्ड राशि लेने के हक में थे तो कुछ लोग पूरा अवार्ड एक साथ लेने की मांग करने लगे एवं अवार्ड ले रहे लोगों को शिविर से बाहर करने लगे। इसको लेकर सेवा केन्द्र के कक्ष में ही दोनों पक्ष आपस में उलझ गए। बाद में सभी ने एकजूट होकर उपखण्ड अधिकारी के पास पहुंचे एवं मुआवजे संबंधित को और अधिक स्पष्ट करने को कहा। इस पर कुछ राजी हो गए तो कुछ नाराज होकर घर चले गए।
एक से 4 करोड़ तक मुआवजा


परमाणु बिजलीघर की जद में आने वाले रेल गांव के विस्थापितों के लिए नापला में शिविर का आयोजन किया गया था। शिविर के दौरान पूरे दिन गहमागहमी बनी रही तथा सभी के चेहरे पर मिले-जुले भाव नजर आ रहे थे। शिविर में दो विस्थापितों को तो एक और चार करोड़ तक का मुआवजा दिया जाना है जिसमें से एक करोड़ का मुआवजा राशि मंगलवार को दी गई।
शाम तक शिविर में 78 लोगों को अवार्ड राशि का वितरण किया गया एवं 29 लोगों को आर एण्ड आर का अवार्ड जारी किया गया। शेष को बुधवार को आयोजित होने वाले शिविर में भुगतान किया जाएगा। इस दौरान उपखण्ड अधिकारी अंशदीप रल्ह, एनपीसीएल के मयूर गुप्ता, शांतिलाल चौबीसा एवं धीरज दोसी ने लोगों को अवार्ड राशि के बारे में पूरी जानकारी दी।
गलत सर्वे की शिकायत


शिविर में एेसे लोग भी पहुंचे जिन्होंने यह शिकायत की कि उनके मकानों का अवार्ड गलत जारी किया है। रेल गांव के बबल ने बताया कि उसका बड़ा पक्का मकान है जिसकी लागत कीमत करीब 10 लाख रुपए होती है, लेकिन उसको मुआवजा महज डेढ़ लाख रुपए ही दिया जा रहा है। इसी तरह उसके भाई को तो मुआवजा इससे भी कम दिया जा रहा है। उसके भाई को महज 88 हजार रुपए का ही मुआवजा बना है।
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