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यहां का गुड़ है देश में प्रसिद्ध,आज भी लोग है इसके दीवाने

locationग्वालियरPublished: Nov 20, 2017 04:45:08 pm

Submitted by:

monu sahu

सटे जौरा को गुड़ की खान कहा जाता है,जहां का सैकड़ों क्विंटल गुड़ का निर्यात दूसरे शहरों व प्रांतों तक किया जाता था

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ग्वालियर। मुरैना से सटे जौरा को गुड़ की खान कहा जाता है,जहां का सैकड़ों क्विंटल गुड़ का निर्यात दूसरे शहरों व प्रांतों तक किया जाता था,लेकिन अब स्थिति ऐसी है कि जौरा क्षेत्र में गुड़ बाहर से मंगाकर पूर्ति करनी पड़ रही है। दरअसल यह स्थित शुगर फैक्ट्री के बंद होने के बाद गन्ना उत्पादन से किसानों का मोहभंग होने के बाद निर्मित हुई है। जौरा क्षेत्र में १० वर्ष पूर्व तक गुड़ का निर्यात किया जाता था।
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हर दूसरे दिन जौरा क्षेत्र से लगभग ६२,५०० किलो गुड़ दूसरे प्रांतों व शहरों में भेजा जाता था,लेकिन अब आलम यह है कि दूसरे शहरों से गुड़ जौरा की पूर्ति के लिए मंगाया जा रहा है। वर्तमान में डबरा, इटावा, नरसिंहपुर के कटेली कस्बे से गुड़ का आयात करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं इन शहरों का गुड देश ही नहीं विदेशों में भी प्रसिद्ध है। १० वर्ष पूर्व जौरा, कैलारस, पहाडग़ढ़ व सबलगढ़ क्षेत्र में २२१8 हेक्टेयर रकबा गन्ने का हुआ करता था, लेकिन वर्तमान स्थिति में यह घटकर महज 69 हेक्टेयर पर आ गया है।
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किसानों का गन्ना से सुगर फैक्ट्री बंद होने से मोहभंग हो गया। फैक्ट्री बंद होने से किसानों को गन्ना बेचने के लिए कोई भी जगह नहीं बची। जिसकी वजह से उन्होंने उत्पादन करना भी बंद कर दिया। पानी व बिजली की कमी भी एक बड़ी वजह सामने आई है, क्योंकि गन्ना उत्पादन के लिए ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है। ऐसे में बिजली के न होने पर किसानों को डीजल पंप से पानी देना पड़ता था, जिससे इसकी लागत काफी बढ़ जाती थी।
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एक बीघा खेत में डीजल पंप से खेती करने में लगभग ४० हजार रुपए का खर्चा आता है वहीं बिजली से पानी देने में महज २५ हजार रुपए खर्च होते हैं उत्पादन लगभग 8० हजार रुपए का होता है। जब-जब सुगर फैक्ट्री चालू हुई है तब-तब गन्ने का उत्पादन भी बढ़ा है। २००७ तक फैक्ट्री चलने से इसका उत्पादन २२१8 हेक्टेयर तक होता था। इसके बाद बंद हो गई। जिसे २००९-१० में फिर शुरू किया गया, जिससे एक बार फिर उत्पादन बढ़कर 8५० हेक्टेयर हुआ, लेकिन अब लगभग समाप्त ही हो गया है।
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यंू घटा गन्ने का रकबा
वर्ष रकबा (हेक्टेयर में)
२००७ २२१8
२००8 १०१२
२००९ ४१७
२०१० 8५०
२०११ ७०५
२०१२ 8०४
२०१३ ४५३
२०१४ ४१४
२०१५ ५०१
२०१६ १६७
२०१७ ६५
“शुगर फैक्ट्री के बंद होने से गन्ने के रकबा पर प्रभाव पड़ा है। किसानों को गन्ना बेचने के लिए जगह नहीं बची। इसलिए अब कम होता जा रहा है।”
आरएस तोमर, एसएडीओ, सहायक संचालक कार्यालय गन्ना, कैलारस
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