script

एम्स जैसी शर्तों के कारण नहीं बन पाई कैंटीन, अब भी चाय पीने बाहर जा रहे डॉक्टर

locationग्वालियरPublished: Apr 29, 2019 06:56:55 pm

Submitted by:

Rahul rai

दिसंबर में जेएएच से रात में चाय पीने के लिए दाल बाजार गए जूनियर डॉक्टर की ट्रक से कुचलकर मौत होने के बाद अस्पताल में ही कैंटीन बनाने का निर्णय लिया गया था। अब चुनाव आचार संहिता समाप्त होने के बाद फिर टेंडर प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है।

jah,canteens

एम्स जैसी शर्तों के कारण नहीं बन पाई कैंटीन, अब भी चाय पीने बाहर जा रहे डॉक्टर

ग्वालियर। जयारोग्य अस्पताल में ड्यूटी करने वाले डॉक्टरों और स्टाफ को चाय-नाश्ते के लिए अस्पताल से बाहर नहीं जाना पड़े, इसके लिए जेएएच में अब तक कैंटीन नहीं बन पाई है। दो माह पूर्व इसके लिए टेंडर जारी किए गए थे, लेकिन दिल्ली के एम्स अस्पताल की कैंटीन के समान शर्तें लगा देने से कोई भी ठेकेदार नहीं आया था।
दिसंबर में जेएएच से रात में चाय पीने के लिए दाल बाजार गए जूनियर डॉक्टर की ट्रक से कुचलकर मौत होने के बाद अस्पताल में ही कैंटीन बनाने का निर्णय लिया गया था। अब चुनाव आचार संहिता समाप्त होने के बाद फिर टेंडर प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है। इसी तरह अस्पताल में अब तक पार्किंग की व्यवस्था भी नहीं हो पाई है।
जनवरी में जेएएच प्रबंधन ने एम्स जैसी कैंटीन खोलने का निर्णय लिया था। इसके बाद जीआरएमसी ने 24 घंटे कैंटीन संचालित करने के लिए टेंडर आमंत्रित किए थे, जिसे जमा करने की तारीख 22 फरवरी नियत की गई थी, लेकिन कैंटीन में बेचे जाने वाले सामान और ठेका लेने की शर्तें एम्स के समान तय कर दी थीं, जिसके अनुसार ठेकेदार को 1200 बेड या इससे अधिक क्षमता के तीन शासकीय व राष्ट्रीय स्तर के अस्पताल की कैटीन चलाने का अनुभव हो, शर्तें पूरी करते पर सिर्फ एक लाख रुपए की धरोहर राशि जमा करनी थी।
मैन्यू के अतिरिक्त अन्य पैक बंद बैकरी खाद्य पदार्थ एवं पेय पदार्थ एमआरपी या उससे कम दरों पर ही बेच सकेंगे, लेकिन जो रेट लिस्ट तय की उसमें खाद्य सामग्री की कीमत सामान्य दर से अधिक अंकित की गईं। इन शर्तों को लेकर विवाद हो गया और शिकायत उच्च स्तर तक हुई, जिससे टेंडर की प्रक्रिया निरस्त हो गई।
इनका कहना है
-कैंटीन, पार्किंग के लिए टेंडर तो आमंत्रित किए थे, लेकिन कोई नहीं आया था। चुनाव आचार संहिता खत्म होने के बाद पुन: टेंडर बुलाए जाएंगे। हमारा प्रयास है कि अच्छी कैंटीन खुले, जिससे डॉक्टरों को रात में चाय-नाश्ते के लिए बाहर न जाना पड़े।
डॉ.भरत जैन, डीन गजराराजा मेडिकल कॉलेज ग्वालियर

ट्रेंडिंग वीडियो