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पौने दो लाख रुपए वेतन मिलने पर भी डॉक्टरों को नहीं है ड़्यूटी की परवाह

locationग्वालियरPublished: Feb 05, 2019 01:08:37 am

Submitted by:

Rahul rai

उनके पास अस्पताल में अपनी ड्यूटी के लिए समय नहीं है। वह अस्पताल के बजाय अपने घर पर मरीजों को देखना अधिक पसंद करते हैं। साथ ही कई डॉक्टरों प्राइवेट नर्सिंग होम्स में भी सेवाएं देने जाते हैं।

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पौने दो लाख रुपए वेतन मिलने पर भी डॉक्टरों को नहीं है ड़्यूटी की परवाह

ग्वालियर। सरकारी डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस ने अंचल के सबसे बड़े अस्पताल जेएएच की व्यवस्थाएं बिगाड़ दी हैं। यहां कई ऐसे डॉक्टर पदस्थ हैं जिनका वेतन पौने दो लाख रुपए के करीब है, लेकिन उनके पास अस्पताल में अपनी ड्यूटी के लिए समय नहीं है। वह अस्पताल के बजाय अपने घर पर मरीजों को देखना अधिक पसंद करते हैं। साथ ही कई डॉक्टरों प्राइवेट नर्सिंग होम्स में भी सेवाएं देने जाते हैं।
जेएएच में पदस्थ डॉक्टरों का वेतन 80 हजार से लेकर पौने दो लाख रुपए तक प्रति माह है, लेकिन अधिकांश डॉक्टरों का रवैया ऐसा है कि वे इच्छा होती है तो अस्पताल आते हैं। कई बार माह में कुछ दिन ही ड्यूटी कर औपचारिकता करते हैं। किसी दिन औचक निरीक्षण किया जाए तो अधिकतर सीनियर डॉक्टर गायब मिलेंगे, क्योंकि इनकी निष्ठा निजी अस्पतालों और प्राइवेट प्रैक्टिस के प्रति अधिक है, लेकिन डॉक्टरों के इस रवैये से बाहर से उम्मीदें लेकर इलाज कराने आने वाले लोगों को निराश होना पड़ता है।
हाजिरी लगाकर चले जाते हैं
जयारोग्य अस्पताल में पत्रिका ने डॉक्टरों की दिनचर्या समझने की कोशिश की तो पाया कि कई सीनियर डॉक्टर अस्पताल में हाजिरी लगाकर निजी नर्सिंग होम में सेवाएं देने निकल जाते हैं। गजराराजा मेडिकल कॉलेज में पढ़ाने वाले और जेएएच में मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टरों का ड्यूटी समय सुबह 9 से शाम चार बजे तक तय है, लेकिन वे समय पर अस्पताल में होते नहीं हैं।
सुरक्षा की गारंटी चाहिए, लेकिन इलाज नहीं करते
जेएएच के डॉक्टर सरकार से डायनेमिक, एसीपी वेतनमान, महंगाई भत्ता के साथ मरीजों के परिजनों से सुरक्षा की गारंटी की मांग कर रहे हैं, लेकिन मरीज उनसे इलाज कराने के लिए इंतजार करते रहते हैं।
क्या कहते हैं जूनियर डॉक्टर
जेएएच में पदस्थ जूनियर डॉक्टरों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि कुछ सीनियर डॉक्टर ठीक हैं, लेकिन कुछ ऐसे हैं जो जूनियर को ऑर्डर देकर चले जाते हैं। अगर जूनियर के साथ सीनियर भी पूरा समय अस्पताल में दें तो मरीज व जूनियर डॉक्टरों के बीच विवाद नहीं होगा और इलाज भी अच्छा होगा।
यह हाल है जयारोग्य अस्पताल समूह का

कुल विभाग -22
हेड ऑफ डिपार्टमेन्ट-22
प्रोफेसर-35
जूनियर डॉक्टर व सीनियर डॉक्टर-600
रोजाना मरीज-2500-2700
इमरजेंसी में बेड -17
बेड की कुल संख्या- 1400

यह है कुल वेतन (लगभग)
-असिस्टेंट प्रोफेसर-80,000
एसोसिएट प्रोफेसर-1,52,000
प्रोफेसर-1,72,000
यह दिखा नजारा
सेंट्रल पैथोलॉजी : महीने में एक भी दिन नहीं आए
पत्रिका ने जनवरी माह का हाजिरी रजिस्टर को देखा तो कई डॉक्टर ऐसे मिले जो 31 दिन में एक दिन भी नहीं पहुंचे, जबकि उनका वेतन डेढ़ लाख से अधिक है। हाजिरी रजिस्टर के अनुसार सेंट्रल पैथोलॉजी में प्रोफेसर राज लक्ष्मी शर्मा के जनवरी में 31 दिन में केवल 5 दिन हस्ताक्षर थे। प्रोफेसर डॉक्टर केके मगनानी, एसोसिएट प्रोफेसर ज्योति श्रीवास्तव और गजेन्द्र पाल सिंह के पूरे माह में एक भी दिन के हस्ताक्षर नहीं थे। असिस्टेंट प्रोफेसर सुष्मिता राय माह में 11 दिन आईं। डॉ.विनोद कुमार पूरे माह में केवल चार दिन आए। उनकी चार दिन की केज्युअल लीव लगी थी। ऐसे ही दूसरे कर्मचारी व डॉक्टरों की हाजिरी भी रजिस्टर में कम लगी मिली।
अस्पताल: डॉक्टरों के हिसाब से बंटे पलंग
अस्पताल के स्टाफ ने बताया कि जयारोग्य अस्पताल में पलंग भी डॉक्टरों के हिसाब से बंटे हैं। यहां किसी भी वार्ड में संबंधित डॉक्टर के पलंग पर किसी दूसरे डॉक्टर के मरीज को भर्ती नहीं किया जा सकता। इन मरीजों में वह शामिल होते हैं जो मोटी फीस देकर डॉक्टर को उनके बंगले पर दिखाने जाते हैं। जो मरीज सीधे आ जाते हैं उन्हें अस्पताल में पलंग मिलना भी मुश्किल होता है। कई मरीज जमीन पर लेटे हुए देखे जा सकते हैं।
विधायक भी हो गए थे हैरान
पिछले दिनों ग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र के विधायक मुन्नालाल गोयल जेएएच का निरीक्षण करने पहुंचे तो सेंट्रल पैथोलॉजी में हाजिरी रजिस्टर देख हैरान रह गए। उन्होंने स्टाफ से पूछा कि हाजिरी रजिस्टर खाली है, डॉक्टर वगैरह यहां आते भी हैं या नहीं, इसका जवाब स्टाफ नहीं दे पाया था।
प्राइवेट प्रैक्टिस बंद हो तो सुधर जाए व्यवस्था
मंत्री और विधायक बार-बार निरीक्षण कर जेएएच की व्यवस्थाएं सुधारने पर जोर दे रहे हैं, लेकिन व्यवस्थाएं नहीं सुधर रही हैं। इस संबंध में एक डॉक्टर का कहना था कि व्यवस्थाएं सुधारना है तो पंजाब, हरियाणा की तर्ज पर मप्र में भी शासकीय डॉक्टरों द्वारा की जा रही प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक लगनी चाहिए।
इनका कहना है
-प्रोफेसर, डॉक्टर, कर्मचारी सभी का ड्यूटी समय अलग-अलग है, ड्यूटी समय में रहना अनिवार्य है, ताकि पढ़ाई और इलाज दोनों सही तरीके से संचालित हों। मैं इसको दिखवाता हूं, जेएएच की व्यवस्थाएं सुधारने का प्रयास किया जा रहा है।
डॉ.भरत जैन, डीन गजराराजा मेडिकल कॉलेज ग्वालियर
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