scriptजेएएच: प्रति बेड सफाई खर्च 1450 रुपए, 200 कर्मचारी, फिर आइसीयू में गंदा पानी और वार्डों में कचरा | JAH: Rs 1450 per bed, 200 employees, then dirty water in ICU and waste | Patrika News

जेएएच: प्रति बेड सफाई खर्च 1450 रुपए, 200 कर्मचारी, फिर आइसीयू में गंदा पानी और वार्डों में कचरा

locationग्वालियरPublished: Mar 09, 2019 01:33:52 am

Submitted by:

Rahul rai

यहां सफाई के नाम पर हर माह 60 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं। प्रति पलंग 1450 रुपए सफाई पर खर्च हो रहे हैं, इस काम में दो सौ से अधिक कर्मचारी लगे हुए हैं, इसके बाद भी व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हो रहा है

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जेएएच: प्रति बेड सफाई खर्च 1450 रुपए, 200 कर्मचारी, फिर आइसीयू में गंदा पानी और वार्डों में कचरा

ग्वालियर। जयारोग्य अस्पताल मेडिसिन की रैकिंग में प्रदेश में पहले नंबर पर आया है, लेकिन सफाई व्यवस्था में यह अभी जीरो ही बना हुआ है। यहां सफाई के नाम पर हर माह 60 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं। प्रति पलंग 1450 रुपए सफाई पर खर्च हो रहे हैं, इस काम में दो सौ से अधिक कर्मचारी लगे हुए हैं, इसके बाद भी व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हो रहा है।
पिछले दिनों चिकित्सा शिक्षा मंत्री विजय लक्ष्मी साधौ द्वारा जेएएच के निरीक्षण के दौरान गंदगी मिलने पर अधिकारियों पर नाराजगी जताई गई थी, इसके बाद जेएएच प्रबंधन द्वारा सफाई व्यवस्था संभालने वाली कंपनी पर एक लाख रुपए का जुर्माना किया गया था, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ।
पत्रिका टीम शुक्रवार को सफाई व्यवस्था का जायजा लेने पहुंची तो माधव डिस्पेंसरी में गंदगी के ढेर लगे मिले, ओपीडी के कक्षों के बाहर कचरा फैला था। जेएएच के सर्जरी, बर्न यूनिट के बाहर गंदगी थी, यहां टॉयलेट काफी गंदे थे, उनसे बदबू आ रही थी। ऐसा ही हाल आइसीयू में था, जहां गंदा पानी फर्श पर बह रहा था। केआरएच में जाकर देखा तो वहां प्रवेश द्वार पर ही कचरा दिखाई दिया, गैलरी परिसर में गदंगी थी। सफाई कर्मियों ने एक जगह कचरा एकत्रित कर रखा था। एक-दो जगह कचरा जला हुआ मिला।
मंत्री को कुत्ते घूमते मिले थे
प्रदेश सरकार के मंत्री और विधायक बार-बार जेएएच का निरीक्षण कर रहे हैं और व्यवस्थाओं में सुधार पर जोर दे रहे हैं, पर सब बेकार साबित हो रहा है। पिछले दिनों चिकित्सा शिक्षा मंत्री विजय लक्ष्मी साधौ द्वारा किए गए निरीक्षण के दौरान जेएएच परिसर में कुत्ते घूमते मिले और काफी गंदगी दिखी, इस पर वे भडक़ गईं थीं अफसरों को फटकार लगाई थी। संभागीय कमिश्नर बीएम शर्मा, विधायक प्रवीण पाठक, मुन्नालाल गोयल, जेएएच के अधीक्षक अशोक मिश्रा को भी नालियां भरी हुई मिलीं और कचरे के ढेर मिले थे, जिस पर जेएएच के अधीक्षक ने एक लाख रुपए जुर्माना लगाने की अनुसंशा की थी।
हाईट्स पर है ठेका
सूत्रों ने बताया कि पूर्व में सफाई का ठेका जिला स्तर पर होता था। पिछली भाजपा सरकार ने हाईट्स कंपनी को पूरे प्रदेश में अस्पतालों की सफाई और सुरक्षा का ठेका दे दिया है। हाईट्स ने ठेका पेटी कॉन्ट्रैक्ट पर बीवीजी कंपनी को दे दिया है।
गोयल कर चुके हैं ठेका निरस्त करने की मांग
-बीते दिनों एक हजार बिस्तर के अस्पताल के निर्माण कार्य के शुभारंभ कार्यक्रम में विधायक मुन्नालाल गोयल ने गंदगी पर नाराजगी जाहिर कर ठेका निरस्त कर जिला स्तर पर किए जाने की मांग चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ से की थी।
कई बार लगा जुर्माना
-2 फरवरी 2018 को कॉलेज काउंसिल की बैठक के निर्णय अनुसार 50 हजार रुपए का अर्थदंड लगाया गया।
-22 जून 2018 को 30 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया, क्योंकि चिकित्सालय कैंपस में कचरा जलाया जा रहा था।
-7 सितंबर 2018 को सफाई कर्मचारियों का एक दिन का वेतन काटा गया, क्योंकि केआरएच के पीछे स्थित ढेर को नहीं उठाया जा रहा था।
– 3 अक्टूबर 2018 को केआरएच के पीछे से ढेर नहीं उठने पर हाईट्स कंपनी को दी जाने वाली सर्विस टैक्स की राशि में से दो प्रतिशत राशि काटी गई।
-डीन के निरीक्षण के दौरान केआरएच के पीछे व प्रीपेड बूथ के अंदर कचरा मिलने पर 16 अक्टूबर 2018 को 10 हजार रुपए जुर्माना लगाया गया।
-आयुक्त को निरीक्षण के दौरान गंदगी मिली, जिस पर 2 नवंबर 2018 को सफाई कार्य का एक दिन का वेतन काटा गया।
-1 फरवरी 2019 को जेएएच के अधीक्षक ने दस हजार रुपए जुर्माना लगाया।
-चिकित्सा शिक्षा मंत्री के निरीक्षण के बाद एक मार्च 2019 को एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया।
मेडिसिन की रैंकिंग में नंबर वन
जयारोग्य अस्पताल मेडिसिन की रैकिंग में प्रदेश में पहले नंबर पर आया है। चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा शुक्रवार को जारी की गई मेडिसिन की रैंकिंग में दूसरे नंबर पर जबलपुर और तीसरे नंबर पर सागर है। मेडिसिन की रैंकिंग तय करते समय प्रदेश के मेडिकल कॉलेज और उनसे जुड़े अस्पतालों में दवाओं की स्थिति का मूल्यांकन किया गया। गजराराजा मेडिकल कॉलेज के जयारोग्य अस्पताल में 335 प्रकार की दवाएं पाई गईं। दूसरे नंबर पर आए जबलपुर के मेडिकल कॉलेज में 331 तरह की दवाएं हैं, तीसरे नम्बर पर सागर है, जहां के डीन बीएमसी में 327 प्रकार की दवाएं हैं।
इनका कहना है-
सफाई और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कई बार हाईट्स कंपनी को नोटिस दिए हैं, कंपनी के खिलाफ कार्रवाई प्रस्तावित है। मेडिसिन में नम्बर वन आए हैं, हम प्रयास कर रहे हैं कि दवाएं और बढ़ाई जाएं, जिससे मरीजों को दवा के अभाव में लौटकर न जाना पड़े।
डॉ.अशोक मिश्रा जेएएच अधीक्षक

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