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हमेशा धर्म के लिए ही करें पुरुषार्थ

locationग्वालियरPublished: Oct 18, 2019 10:20:30 pm

Submitted by:

Narendra Kuiya

– नया बाजार जैन मंदिर में धर्मसभा में बोले जैन मुनि अविचल सागर

हमेशा धर्म के लिए ही करें पुरुषार्थ

हमेशा धर्म के लिए ही करें पुरुषार्थ

ग्वालियर. हमारी शिक्षा में मोक्ष नहीं सभ्यता का जीवन जीने का संदेश दिया गया है, लेकिन लोगों ने गलत समझ लिया है। मोक्ष पाने के लिए सम्यक दर्शन की प्राप्ति कालावधि पूर्ण होने पर ही होती है। आज सिर्फ आत्म कल्याण और सिद्धालय जाने की बात की जा रही है, ये एकतरफा शिक्षा है। उपदेश विवेकवान व्यक्ति को ही दिया जाता है, क्योंकि बुद्धिहीन सही बात का भी गलत अर्थ निकाल लेते हैं। यह विचार जैन मुनि अविचल सागर महाराज ने शुक्रवार को नया बाजार जैन मंदिर में धर्मसभा में व्यक्त किए। जैन मुनि ने बताया कि धर्म का फल मोक्ष हो सकता है, लेकिन मोक्ष के लिए धर्म करने की बात करना गलत है। धर्म से मुक्ति की बात भी नहीं करना चाहिए। ये तो हमारे कर्मों पर निर्भर करता है। पुरुषार्थ हमेशा धर्म के लिए करना चाहिए, मोक्ष के लिए नहीं।
पुरुषार्थ का फल मोक्ष
मुनि अविचल सागर ने बताया कि धर्म का फल हमेशा अप्रत्यक्ष होता है। जिस सुख को आपकी बुद्धि धर्म का फल मान बैठी है, वह धर्म नहीं है। धर्म पुरुषार्थ है, उसका फल मोक्ष है। इस संसार में तुम जो सुख भोग रहे हो, वह पुण्य का फल है, धर्म का नहीं। कर्म और कर्म का फल अलग-अलग होते हैं। संसारी होना हमारा स्वभाव है। हम अपनी गलतियों के कारण दु:ख उठाते हैं। हमें जो सुख-दु:ख मिलते हैं, उसके पीछे हमारा संसारी होना कारण हो सकता है।
अतीत से सबक लें
जैन मुनि अविचल सागर ने बताया कि यदि आपकी बुद्धि अतीत के जीवन से सबक नहीं ले रही है तो कोई भी शक्ति आपको नहीं समझा सकती। जब तक कोई घटना आपके अंदर घुटन पैदा नहीं करेगी, तब तक आपका जीवन नहीं बदलेगा। हमें जानबूझकर गलत काम नहीं करना चाहिए, यदि हो जाएं तो गुरु के समक्ष प्रायश्चित करना चाहिए।
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