ग्वालियर

संस्कृति व संस्कारों से बच्चों को संस्कारित करना बहुत जरूरी

– जैन मुनि संस्कार सागर ने नई सडक़ स्थित चंपाबाग धर्मशाला में कहा

ग्वालियरNov 29, 2019 / 11:26 pm

Narendra Kuiya

संस्कृति व संस्कारों से बच्चों को संस्कारित करना बहुत जरूरी

ग्वालियर. संतान ऐसी हो जो धर्म, समाज व देश की रक्षा के लिए सब कुछ न्यौछावर कर दे। उदाहरण पेश करना सरल है, उदाहरण बनना बहुत कठिन है। यह विचार जैन मुनि संस्कार सागर ने शुक्रवार को नई सडक़ स्थित चंपाबाग धर्मशाला में शास्त्र वचन संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
जैन मुनि ने कहा कि पाप की तो मर्यादा होती है पुण्य की मर्यादा नहीं होती। पुण्य के फल की मर्यादा होती है पाप के फल की नहीं। असीमित पुण्य का संचय मनुष्य को नर से नारायण बनाकर सिद्ध शिला में विराजमान कर देता है।
उन्होंने आगे कहा कि आज हम सुबह उठते हैं तो हमारा जिनालय का रास्ता ही सही दिशा और दशा की ओर ले जा रहा है, अन्यथा भौतिक सुख-सुविधा के सभी रास्ते पाप की ओर धकेल रहे हैं। अत्यधिक कामनाएं एवं आकांक्षाओं के वशीभूत होकर पल-पल पाप की क्रियाएं कर रहे हैं। भारतीय संस्कृति ऐसी संस्कृति है, जो आचरणयुक्त विचारों पर चलती है। हमारे देश की संस्कृति व संस्कारों से बच्चों को संस्कारित करना अत्यंत आवश्यक है।
मुनि ने भगवान जिनेंद्र के दर्शन किए
जैन मुनि संस्कार सागर ने पद यात्रा करते हुए दौलतगंज स्थित जैन मंदिर, माधौगंज स्थित जैन मंदिर में देवप्रभु जिनेंद्र भगवान के दर्शन किए। समाज के लोगों ने मुनि की अगवानी कर आरती उतारी।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.