छह माह की गर्भवती पत्नी सोनी हेम्बरम को ग्वालियर में डीएलएड की परीक्षा दिलाने के लिए झारखंड के गोड्डा से ग्वालियर तक धनंजय स्कूटी चलाकर पहुंचे थे। जब उनकी खबर मीडिया में आई तो जिला प्रशासन और अडानी समूह तक यह बात पहुंची। इसके बाद जिला प्रशासन ने उनके रहने का अच्छा इंतजाम किया वहीं अडानी ग्रुप ने इस दंपती को फ्लाइट से घर भेजने की घोषणा की गई थी। बुधवार को धनंजय और उनकी पत्नी सोनी को लिए यह पहला मौका था जब वे फ्लाइट में बैठने जा रहे थे। इससे पहले उन्होंने बताया कि उन्हें एक सुखद अहसास भी है, लेकिन फ्लाइट में बैठने में डर भी लग रहा है।
सभी ने किया जज्बे को सलाम
पत्नी की पढ़ाई के प्रति धनंजय के जज्बे को देखते हुए अडानी ग्रुप और जिला प्रशासन ने उन्हें सलाम किया था और उनकी हर संभव मदद भी की। अडानी ग्रुप ने दोनों को फ्लािट से भेजने की घोषणा की थी। उन्हें फ्लाइट के पूरे टिकट उपलब्ध कराए गए और जिस स्कूटी से वे आए थे उसे भी फ्लाइट के साथ ही भिजवा दिया गया।
बांग्लादेश सीमा के पास है धनंजय का गांव
बांग्लादेश की सीमा से बमुश्किल 150 किलोमीटर दूर बसे झारखंड के गोड्डा जिले के गांव गन्टा टोला के रहने वाले धनंजय मांझी 1176 किमी. का सफर स्कूटी से तय कर गर्भवती पत्नी सोनी हेम्बरम को डीएलएड की परीक्षा दिलाने के लिए ग्वालियर लेकर आए थे।तमाम मुश्किलों को पार कर पत्नी का शिक्षक बनने का सपना साकार करने में मदद करने वाले धनंजय की खबर जब मीडिया में आई तो अब उनकी मदद के लिए हाथ भी बढ़ने लगे थे। अडानी ग्रुप ने उन्हें फ्लाइट से वापस घर भेजने का ऑफर दिया। पत्रिका से बातचीत के दौरान धनंजय ने बताया कि अडानी ग्रुप की तरफ से उन्हें फ्लाइट की टिकिट की पेशकश की गई थी।
जिला प्रशासन ने बढ़ाया मदद का हाथ
पत्नी को परीक्षा दिलाने के लिए ग्वालियर आए धनंजय ने 1500 रुपए में एक कमरा 10 दिनों के लिए किराए पर लिया था। लेकिन जैसे ही धनंजय के संघर्ष और जज्बे की जानकारी जिला प्रशासन को लगी तो जिला प्रशासन भी मदद के लिए आगे आया। धनंजय ने दिल से प्रशासन का धन्यवाद देते हुए बताया है कि डीएम ने उनकी काफी मदद की है और जिला शिक्षा अधिकारी ने परीक्षा केन्द्र के पास ही रहने की व्यवस्था की है। भोजन आदि मूलभूत आवश्यकताओं की भी पूर्ति की गई है और साथ ही 5000 रुपए आर्थिक मदद के तौर पर मुहैया कराए और परीक्षा समाप्ति के बाद उन्हें ये आश्वासन भी दिया गया कि परीक्षा खत्म होने के बाद उनके झारखंड तक वापस पहुंचने की व्यवस्था भी प्रशासन करेगा।