जीवाजी विवि प्रशासन ने कलकत्ता की एजेंसी से काम छीनकर नागपुर की उक्त एजेंसी को काम सौंपा गया। विवि के तत्कालीन कुलाधिसचिव उक्त एजेंसी को लेकर आए। जब से एजेंसी ने काम संभाला है तभी से वह विवादों में है। विवि के कुलपति की चहेती एजेंसी होने की वजह से अग्रिम रूप से भुगतान भी किया गया। एजेंसी से कोई भी काम नहीं संभल रहा। परीक्षा परिणाम में गड़बड़ी से लेकर चार्ट तक गलत भेजे गए। जिससे हजारों छात्रों का भविष्य दांव पर लग गया। परेशान छात्रों की विवि में भीड़ लगने लगी। यहां तक कि परेशान छात्रों ने आत्हत्या करने जैसे कदम उठाया। हर स्तर पर एजेंसी का विरोध हुुआ। तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक ने लिखकर दिया कि उक्त एजेंसी से कोई काम नहीं कराया जा सकता। यह एजेंसी छात्रहित में कोई काम नहीं कर रही। छात्रों व अधिकारियों के विरोध के बाद एजेंसी से काम छीन लिया। कार्यपरिषद ने भी इस पर मुहर लगाई और एजेंसी को किसी तरह का भुगतान करने पर रोक लगा दी। उसके बाद भी विवि के अधिकारी चहेती एजेंसी को करीब 80 लाख रूपए भुगतान करने की तैयारी कर ली है। सूत्रों की मानें तो बैक डेट पर यह भुगतान किया जा रहा है। इस संबंध में चेक भी बन गया है।