शिकायत पर जब रेक्टर प्रो.आरजे राव ने वित्त विभाग से इन आंचलिक केन्द्रों पर हो रहे खर्च का ब्यौरा मांगा तो उसने मना कर दिया। उसका कहना था कि उसके पास इन केन्द्रों पर हो रहे खर्च का ब्यौरा नहीं है। यह ब्यौरा संबंधित सर्विस एजेंसी से मिल सकता है। इसके बाद जब एजेंसी से खर्च का ब्योरा मांगा तो पता चला कि हर साल करीब 17 लाख रुपए का खर्चा इन केन्द्रों को चलाने में आ रहा है।
कॉलेज प्राचार्यों ने जताई थी आपत्ति
करीब दो वर्ष पूर्व शिवपुरी, दतिया और अशोक नगर के लीड कॉलेजों ने विवि को शिकायत दर्ज कराई थी उनके द्वारा आंचलिक केन्द्रों पर नियुक्त कर्मचारी ड्यूटी पर नहीं आते हैं। अगर कभी आ भी जाते हैं तो छात्रों की समस्याओं को हल करने की जगह काम के लिए पैसों की मांग करते हैं। कॉलेज प्राचार्यों ने इन केन्द्रों को बंद करने के लिए लिखित में शिकायत भी की, लेकिन प्रबंधन ने कोई एक्शन नहीं लिया।
आंचलिक केन्द्र छात्रों की सहायता के लिए खोले गए हैं, अगर इन पर कोई काम नहीं हो रहा है तो संबंधित अधिकारियों को कार्रवाई के निर्देश जारी किए जाएंगे।
प्रो.संगीता शुक्ला, कुलपति,जेयू