दरअसल, पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा था कि लोकसभा चुनाव और राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद पार्टी पर संकट बढ़ा है। राहुल के इस्तीफे के कारण हार के बाद जरूरी आत्मनिरीक्षण भी नहीं कर पायी। हम यह भी पता नहीं कर पाए बैठकर कि लोकसभा चुनाव में क्यों हारे हैं। पार्टी आज इस स्थिति में पहुंच गई है कि वह अपना भविष्य ही तय नहीं कर पाई। ग्वालियर में ज्योतिरादित्य सिंधिया पर इसी मुद्दे पर सवाल किया गया था।
वहीं, सलमान खुर्शीद के सवाल पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि उन्होंने क्या कहा, वहीं ज्यादा बेहतर बता सकते हैं। इसके साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि वर्तमान हालात का जायजा लेकर सुधार किया जाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पार्टी को आत्म अवलोकन करने की जरूरत है। दरअसल, ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर और चंबल संभाग के दौरे पर हैं। उनका यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब पार्टी के कई नेता नेतृत्व पर सवाल उठाकर पार्टी छोड़ रहे हैं।
राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उसके बाद से उनके समर्थक उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग कर रहे थे। उस वक्त यह खबरें भी आ रही थीं कि वे नाराज चल रहे हैं। लेकिन सोनिया गांधी जैसे ही कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष बनीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए उन्हें स्क्रीनिंग कमेटी का अध्यक्ष बना दिया गया। लेकिन सिंधिया खुद को एमपी में ही बड़ी जिम्मेदारी चाहते हैं। ऐसे में ये बयान कहीं न कहीं पार्टी नेतृत्व की ओर ही इशारा कर रहा है।
पिछले कुछ दिनों से ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश में फिर से सक्रिय हैं। बाढ़ के दौरान भी वह प्रदेश के कई हिस्सों का दौरा किया था। साथ ही किसानों को मदद का आश्वासन का भरोसा दिया था। यहीं नहीं उन्होंने किसानों को मुआवजा दिलवाने के लिए सीएम कमलनाथ से भी मुलाकात की थी और पीएम मोदी को भी चिट्ठी लिखी थी। सिंधिया प्रदेश में ऐसे वक्त में एक्टिव थे, जब महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया था। ऐसे में सिंधिया के बयान से फिर चर्चाएं गरम हो गई हैं कि क्या सिंधिया अभी भी नाखुश हैं।