पिछोर विधायक केपी सिंह ने कैलासवासी माधवराव सिंधिया के संस्मरण सुनाते हुए कहा कि जब मैं छात्र राजनीति में था,तब पहली बार बॉम्बे कोठी में मेरी पहली मुलाकात उनसे हुई। वर्ष 1993 में जब मुझे पहली बार पिछोर विधानसभा से टिकट दिया। तब मैंने माधवराव सिंधिया से कहा कि मुझे पिछोर में तो कुछ लोग जानते हैं,लेकिन खनियांधाना में मेरी कोई तैयारी नहीं है।तब उन्होंने मुझे एक चिट्ठी लिखकर देते हुए कहा कि इसे ले जाओ,खनियांधाना में आपकी तैयारी हो जाएगी। केपी सिंह ने कहा कि जिस तरह से आज माधवराव सिंधिया की प्रतिमा का अनावरण हुआ, इसी तरह किसी चौराहे पर राजमाता विजयाराजे सिंधिया की प्रतिमा भी लगाई जानी चाहिए।
सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उद्बोधन की शुरुआत में कहा कि मेरी आत्या (बुआ) व मेरे परिवार के सदस्यों,आज मेरे पिता की प्रतिमा का अनावरण उनकी प्रिय नगरी शिवपुरी में हो रहा है।मैं इसके लिए नगरपालिका परिषद शिवपुरी को धन्यवाद देता हूं।मेरे पिता के आदर्श आखिरी सांस तक मेरे साथ रहेंगे। क्योंकि मेरे पिता ने राजनीति को माध्यम बनाकर जनसेवा की और उनकी पहचान एक जनसेवक के रूप में रही।मेरी दादी व पिता के समय में राजनीति ऐसी हुआ करती थी कि लोगों के बीच रिश्ते बांधे जाते थे,लेकिन आज का राजनीतिक वातावरण धूमिल होता जा रहा है।
केबिनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने सांसद सिंधिया को आदरणीय भतीजे संबोधित करते हुए कहा कि आज मेरे भाई की प्रतिमा का अनावरण हुआ है।वो न केवल पार्टी व परिवार बल्कि भाई होने के नाते मेरा भी नेतृत्व करते थे।आप लोगों को आश्चर्य होगा कि मेरी मां जब राजनीति में आईं तो गुना लोकसभा सीट से उन्होंने पहला व आखिरी चुनाव लड़ा। वहीं मेरे भाई साहब ने भी पहला व आखिरी चुनाव गुना लोकसभा सीट से ही लड़ा। यह इत्तिफाक ही है कि मां-बेटा दोनों ही अपना पहला व आखिरी चुनाव एक ही सीट से लड़े। यशोधरा ने भावुक होते हुए कहा कि जब राजनैतिक मतभेदों ने मां-बेटे के रास्ते अलग-अलग कर दिए,तो भगवान ने दोनों को एक ही रास्ते से बुला लिया।आज वो ऊपर से अपने लोगों को देख रहे हैं। ऐसी ही प्रतिमा मेरी मां की भी लगाई जाएगी,क्योंकि जहां बेटा है तो वहां मां भी दूर नहीं रह सकती।