scriptलोकसभा चुनाव : मोदी लहर में बह गया राजघराने का दिग्गज नेता,चेला ही पड़ा भारी | jyotiraditya scindia lost for guna lok sabha election 2019 | Patrika News

लोकसभा चुनाव : मोदी लहर में बह गया राजघराने का दिग्गज नेता,चेला ही पड़ा भारी

locationग्वालियरPublished: May 23, 2019 06:52:12 pm

Submitted by:

monu sahu

लोकसभा चुनाव : मोदी लहर में बह गया राजघराने का दिग्गज नेता,चेला ही पड़ा भारी

lok sabha election 2019

लोकसभा चुनाव : मोदी लहर में बह गया राजघराने का दिग्गज नेता,चेला ही पड़ा भारी

ग्वालियर। लोकसभा चुनाव 2019 में देश में चल रही मोदी लहर में आखिरकार गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट से चार बार सांसद रहे सिंधिया भी हार गए। इस सीट पर सिंधिया राजघराने का 1957 से कब्जा रहा है, वह सीट अब उसके हाथ निकल गई है। यहां से भाजपा उम्मीदवार केपी यादव ने कांग्रेस प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया पर निर्णायक बढ़त बना ली है। केपी यादव 1.20 लाख से ज्यादा वोटों से आगे हैं। बताया जाता है कि केपी यादव सिंधिया के सांसद प्रतिनिधि थे,लेकिन इस बार चुनाव में भाजपा ने बड़ा दांव खेलते हुए गुना के सियासी मैदान में गुरु के सामने चेले को उतार दिया।
अब तक मिल रहे रूझानों से साफ हो गया है कि भाजपा का दांव काम आया और केपी यादव ने अपने गुरु पर निर्णायक बढ़त बना ली। यहां बता दें कि सिंधिया परिवार में राजमाता विजयाराजे सिंधिया के सुपुत्र स्व.माधव राव सिंधिया एवं यशोधरा राजे सिंधिया ही अभी तक अपराजेय रहे हैं। राजमाता विजयाराजे सिंधिया 1980 में इंदिरा गांधी के खिलाफ चुनाव हार चुकी हैं,उनकी बेटी वसुंधरा राजे सिंधिया 1984 के चुनाव में भिंड-दतिया लोकसभा क्षेत्र से चुनाव हारी थीं अब ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने गढ़ में चुनाव हार गए हैं।
सन् 1980 में राजमाता विजयाराजे सिंधिया को तत्कालीन अध्यक्ष चन्द्रशेखर ने आग्रह किया था कि वे स्व. इंदिरा गांधी के खिलाफ जनता पार्टी की ओर से रायबरेली से लोकसभा का चुनाव लड़े। इस पर राजमाता ने कहा कि जो पार्टी तय करेगी। इसके बाद वे राजमाता विजयाराजे सिंधिया रायबरेली गईं और स्व.इंदिरा गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा लेकिन वे यहां चुनाव हार गई। जनता पार्टी की सरकार बनीं लेकिन उन्होंने कोई पद स्वीकार नहीं किया था।
वसुंधरा राजे को हराया था महाराज किशन जूदेव ने
वर्ष 1984 में राजमाता विजयाराजे सिंधिया की पुत्री वसुंधरा राजे सिंधिया को भाजपा ने भिंड-दतिया क्षेत्र से अपना प्रत्याशी घोषित किया था। यह चुनाव सबसे रोचक चुनावों में माना जाता है। जिसमें एक ओर दतिया परिवार के महाराज किशन जूदेव थे वहीं उनके खिलाफ भाजपा से सिंधिया परिवार की वसुंधरा राजे सिंधिया मैदान में थीं। इस चुनाव में वसुंधरा राजे चुनाव हार गई थीं उन्हें 106757 वोट मिले थे जबकि किशन सिंह को 194160 वोट मिले थे।
यह चुनाव वसुंधरा राजे के लिए पहला चुनाव था वहीं किशन जूदेव का भी पहला ही चुनाव था। वसुंधरा राजे यहां चुनाव हारने के बाद फिर यहां से चुनाव नहीं लड़ी। इसके बाद उन्होंने राजस्थान के धौलपुर से विधानसभा चुनाव लड़ा और चुनाव जीतीं। इसके बादवह 1989 में राजस्थान के झालावाड से लोकसभा का चुनाव लड़ी। सिंधिया वंश की गढ़ रही गुना विधानसभा सीट पर करीब 20 साल बाद भाजपा का कब्जा होने जा रहा है। वर्ष 1999 में राजमाता विजयाराजे सिंधिया के बाद यहां एक बार फिर भाजपा चुनाव जीतने जा रही है। कांग्रेस के प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया वर्ष 2002 से यहां के सांसद रहे। वर्ष 2002 में स्अपने पिता माधवराव सिंधिया के निधन के बाद वे उपचुनाव में सवा चार लाख के अंतर से चुनाव जीते थे। इसके बाद वे 2004 में फिर वर्ष 2009 में एवं 2014 में चुनाव जीते।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो