यादगार के रूप में लखनऊ का करवा चौथ व्रत है। मैं अपने घर पर थी और ये भोपाल में थे। उस दिन मैं बहुत अकेला फील कर रही थी, कारण यह कि घर के सब सदस्य व्रत की तैयारियों में थे, बाजार से जरूरत का सामान आ रहा था, मिठाइयां लाई जा रही थीं, सबसे उनकी पसंद पूछी जा रही थी। मुझसे भी घरवालों ने पूछा था कि लेकिन मैंने कोई जवाब नहीं दिया, क्योंकि अकेले व्रत की औपचारिकता पूरी करनी थी, लेकिन जैसे ही शाम को चंद्रमा की पूजा की थाली लेकर हम लोग छत पर पहुंचे और अर्घ दिया, तभी ये सरप्राइज के रूप में सामने आकर खड़े हो गए। पहले मैं बिलकुल शॉक्ड हो गई थी, सामने इनको देखकर बहुत खुशी मिली।
पूजा के समय अचानक हो गई एंट्री
मेरा पहला करवाचौथ था। हसबैंड बिजनेस के सिलसिले में मंडला गए थे। उन्होंने लास्ट टाइम तक मुझसे कहकर रखा कि मैं नहीं आ पाऊंगा। जब मैं छत पर पूजा के लिए पहुंची, तो उनकी एंट्री हुई। देखकर मैं शॉक्ड हो गई। यह मेरे लिए किसी सरप्राइज से कम नहीं था। अब कभी वह बाहर जाने की सच में भी बात करते हैं, तो मुझे लगता है कि मजाक कर रहे हैं।
दर्शाता है नारी शक्ति का प्रण
शहर के पूर्व महापौर समीक्षा व उनके पति राजीव गुप्ता ने बताया कि करवाचौथ सभी माताएं और बहनों के लिए बहुत खास त्यौहार होता है। यह बहुत की कठिन लेकिन भावनात्मक रूप से बहुत ही अहम त्यौहार है जो न केवल पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है वरन नारि शक्ति के प्रण को भी दर्शाता है। कि अगर नारी जो ठान ले तो उसे कोई भी नहीं रोक सकता। इसलिए स्त्री को कभी कमजोर नहीं समझना चाहिए और माताओं बहनों को भी अपनी इस शक्ति को समझ कर समाज के कार्य में आगे आकर भागीदारी निभानी चाहिए।