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#Padwoman: 22 गांव की महिलाओं के लिए फरिश्ता हैं किरण वाजपेई, फ्री में देती हैं सेनेटरी पैड

locationग्वालियरPublished: Aug 10, 2019 05:29:20 pm

Submitted by:

Gaurav Sen

जिसकी 18 साल की उम्र में शादी होने जा रही थी। वो मेरे पास आकर बोलती है कि मैम आप पढ़ाई का सामान तो देते हैं लेकिन हर माह आने वाले पीरियड्स के लिए भी हमें सैनेटरी नैपकिन दीजिए………

kiran bajpai owner pad woman foundation

22 गांव की महिलाओं के लिए फरिश्ता हैं किरण वाजपेई, फ्री में देती हैं सेनेटरी पैड

ग्वालियर। एक दिन 18 साल की बच्ची ने आकर मुझसे कहा कि मैडम आप हम लोगों को इतना सारा सामान देती हो लेकिन मैं चाहती हूं , आप हमें सैनेटरी पैड दो। मुझे महीने के उन दिनों में कपड़ा उपयोग करना अच्छा नहीं लगता है। उस बच्ची की इस बात से मुझे काफी पीड़ा हुई। उस दिन के बाद से ही पैड वुमन फाउंडेशन की शुरूआत हुई । पैड वुमन फाउंडेशन को किरन वाजपेई चलाती हैं। पढि़ए पूरी खबर

उन्होंने बताया कि –

” मैं गांव के स्कूलों के बच्चों को हर रविवार पढ़ाने जाया करती थी। वहां के बच्चों को पढ़ाने के साथ बुक्स, पेंसिल, कॉपी आदि को उन्हें बांटती थी। लेकिन, एक दिन आलापुर गांव की राजेश्वरी (परिवर्तित नाम), जिसकी 18 साल की उम्र में शादी होने जा रही थी। वो मेरे पास आकर बोलती है कि मैम आप पढ़ाई का सामान तो देते हैं लेकिन हर माह आने वाले पीरियड्स के लिए भी हमें सैनेटरी नैपकिन दीजिए।

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मैंने उसे कहा कि अपने घरवालों से कहो कि वे लाकर दें। तब उसने कहा कि वे नहीं सुनते और मैं दूसरे घर जाकर कपड़ा कैसे इस्तेमाल करूंगी। इसके बाद मैंने उसे पहला पैड लाकर दिया। इसके बाद मैंने सोच लिया कि गांव-गांव जाकर महिलाओं को इसके लिए अवेयर करूंगी। किरण वाजपेई ने कहा कि यहीं से पैड वुमन फाउंडेशन की शुरुआत हुई जिसका रोशनी राजेश्वरी बनीं। संस्था में मैने 40 सदस्यों को जोड़ा। 3 साल से लगातार 22 गांव गोद लेकर वहां महिलाओं को हम सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध करा रहे हैं। उन्होंने बताया कि जब इन गांव में जाकर महिलाओं से बात करने की शुरुआत की तो पुरुषों ने इसका खासा विरोध किया।

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उन्होंने कहा कि यहां आकर ऐसी बेशर्मी न दिखाएं। इसके बाद हमने महिलाओं से पहले पुरुषों को उनकी बेटी और पत्नी की परेशानियों से रूबरू कराया। गांव की बुजुर्ग महिलाओं ने हमारा बहुत सपोर्ट किया। वे कहती थीं कि जो हमने सहा है, वो हमारी बेटियों को नहीं सहना पड़े। “

गांव में बनाया महिलाओं को ग्रुप

उन्होंने बताया कि जो महिलाएं सेनेटरी पैड का इस्तेमाल नहीं करती हैं, उन्हें अब गांव की बेटियां ही इसके लिए जागरुक कर रही हैं। रोज-रोज सभी गांव में जाना मुश्किल होता है इसलिए हर गांव में महिलाओं की जनसंख्या के अनुरूप 30-30 महिलाओं का ग्रुप बनाया। उनमें से ही एक को हम ग्रुप की लीडर बना देते हैं। वह गांव की महिलाओं की डिमांड हम तक पहुंचाती है और हम उसे पूरा कर देते हैं।

चार महीने फ्री, इसके बाद एक रुपए प्रति पैड

साल में चार महीने तक सेनेटरी पैड महिलाओं को निशुल्क दिया जाता है। इसके बाद इसके लिए महिलाओं को सिर्फ एक रुपए प्रति पैड देना होता है। 100 महिलाओं को एक महीने में 600 पैड बांटे जाते हैं। शुरुआत में जहां गांव की 70 प्रतिशत महिलाएं सेनेटरी पैड का इस्तेमाल नहीं करती थीं, वहीं अब 50 फीसदी से ज्यादा महिलाएं इसका इस्तेमाल कर रही हैं। हम महिलाओं को पैड को डिस्ट्रॉय करने का प्रशिक्षण भी देते हैं।

टीवी एक्ट्रेस ने भी गोद लिए 4 गांव

टीवी एक्टर आभा परमार ने इस संस्था से जुडकऱ 4 गांव को गोद लिया है। इसके लिए उन्होंने 51 हजार रुपए का डोनेशन भी दिया। उन्हें संस्था ने अपना ब्रांड एंबेस्डर भी बनाया है। आभा ने गांव में जाकर स्वयं पैड भी बांटे। इसके साथ ही इंदौर के एक बिजनेसमैन ने भी जारगा गांव को गोद लिया है

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