scriptजानिए, किस तरफ सूंड वाले गणेश होते हैं शुभ | Gwalior: Know the auspiciousness of trunk position of Lord Ganesha | Patrika News

जानिए, किस तरफ सूंड वाले गणेश होते हैं शुभ

locationग्वालियरPublished: Sep 18, 2015 11:37:00 am

विद्ववानों का कहना है कि दोनों ही तरफ की सूंड वाले गणेशजी की स्थापना शुभ होती है

भगवान गणेश जी की सूंड को लेकर असमंजस की स्थिति रहती है कि भगवान की सूंड किस तरफ होना चाहिए, प्रतिमा खड़ी हुई होना चाहिए या बैठे हुए विग्रह की स्थापना की जाना चाहिए। मूषक या रिद्धि-सिद्धि साथ हो या ना हो। इसे लेकर विद्ववानों का कहना है कि दोनों ही तरफ की सूंड वाले गणेशजी की स्थापना शुभ होती है। दाई और की सूंड वाले सिद्धि विनायक कहलाते हैं तो बाई सूंड वाले वक्रतुंड, हालांकि शास्त्रों में दोनों का पूजा विधान अलग-अलग बताया गया है।

दाई सूंड
सिद्धि विनायक का पूजन करते समय भक्त को रेशमी वस्त्र धारण कर नियम से सुबह-शाम पूजा करनी पड़ती है। सूती वस्त्र पहन कर पूजन नहीं कर सकते। पुजारी या पुरोहित से पूजा कराना शास्त्र सम्मत माना जाता है। भक्त को जनेऊ धारण कर उपवास रखना होता है। स्थापना करने वाले को इस दौरान किसी के यहां भोजन करने नहीं जाना चाहिए।

बाई सूंड
यदि सूंड प्रतिमा के बाएं हाथ की ओर घूमी हुर्ई हो तो ऎसे विग्रह को वक्रतुंड कहा जाता है। इनकी पूजा-आराधना में बहुत ज्यादा नियम नहीं रहते हैं। सामान्य तरीके से हार-फूल, आरती, प्रसाद चढ़ाकर भगवान की आराधना की जा सकती है। पंडित या पुरोहित का मार्गदर्शन न भी हो तो कोई अड़चन नहीं रहती।

बैठी या खड़ी मुद्रा
शास्त्रों के अनुसार गणेश जी की मूर्ति बैठी हुई मुद्रा में ही स्थापित करना चाहिए। मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा बैठकर ही होती है। खड़ी मूर्ति की पूजा भी खड़े होकर करनी पड़ती है, जो शास्त्र सम्मत नहीं है। गणेश जी की पूजा भी बैठकर ही करनी चाहिए, जिससे व्यक्ति की बुद्धि स्थिर बनी रहती है।

मूषक और रिद्धि-सिद्धि
मूषक का स्वभाव है वस्तु को काट देने का, वह यह नहीं देखता है कि वस्तु पुरानी है या नई। कुतर्की जन भी यह नहीं सोचते कि प्रसंग कितना सुंदर और हितकर है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो