नि:स्वार्थ प्रेम का प्रतीक थी कृष्ण-सुदामा की मित्रता
ग्वालियरPublished: Sep 27, 2022 10:39:30 pm
- कथा के अंतिम दिवस माहेश्वरी भवन में कृष्ण-सुदामा के मिलन का प्रसंग देख भावुक हो गए श्रद्धालु


नि:स्वार्थ प्रेम का प्रतीक थी कृष्ण-सुदामा की मित्रता
ग्वालियर. माहेश्वरी भवन मेें चल रही श्रीमद्भागवत कथा के विश्राम दिवस मंगलवार की कथा में कृष्ण-सुदामा के मिलन के प्रसंग का सजीव चित्रण देख श्रद्धालु भावुक हो गए। कृष्ण-रुकमणि के दर्शन और सुदामा से चावल लेने के लिए भक्तों में होड़ मच गई। राम उपाध्याय ने सुदामा के किरदार का बहुत ही सुंदर चित्रण किया। इससे पूर्व अंतिम दिन की कथावाचक वैंकटेश प्रपन्नाचार्य महाराज ने कहा कि जैसे-जैसे मनुष्य का स्वभाव बदलता है, वैसे-वैसे उसका प्रभाव भी बदलने लगता है। उन्होंने कहा कि धन की संपन्नता से किसी व्यक्ति का आंकलन न करें। धन व्यक्ति को मापने का पैमाना नहीं होना चाहिए। व्यक्ति को अपने कार्य की स्वत: समीक्षा करते रहना चाहिए, क्योंकि व्यक्ति जब स्वयं को खुद की अदालत में खड़ा करता है तो वह अपना सही आंकलन कर पाता है।