बताया गया है कि वर्ष 2015 की गणना के मुताबिक गुजरात के गिर अभयारण्य में 523 एशियाई शेर हैं। पूरे देश में यही एकमात्र स्थान है, जहां एशियाई सिंह पाए जाते हैँ, लेकिन गिर अभयारण्य प्रबंधन बढ़ते शेरों के कुनबे को संभाल भी नहीं पा रहा है। यही वजह है कि बीते एक पखवाड़े में 10 शेरों की मौत ने फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। इससे पूर्व भी वर्ष 2016 व 2017 में 182 शेरों की मौत हुई थी। बावजूद इसके गुजरात सरकार श्योपुर के कूनो में शेर शिफ्टेशन में लगातार अड़ंगे लगा रहा है। जिसके चलते अब श्योपुर के वन्यजीव प्रेमियों में भी आक्रोश देखा जा रहा है। वन्यजीवप्रेमियों का कहना है कि यदि गुजरात सरकार लगातार अपनी हठधर्मिता दिखाती रही तो कूनो अभयारण्य में शेरों की मांग को लेकर फिर से आंदोलन किया जाएगा।
कूनो में एक साथ सर्वाइव कर सकते हैं 40 शेर
गिर अभयारण्य के एशियाई शेरों के लिए दूसरे घर के रूप में स्थापित कूनो में भले ही अभी महज 6 से 8 शेर देने का ही प्लान हो। लेकिन गिर अभयारण्य के बजाय कूनो शेरों के लिए ज्यादा मुफीद है। ये बात एक्सपर्ट भी बता चुके हैं। विशेष बात यह है कि कूनो में एक साथ 40 शेर सर्वाइव कर सकते हैं। यही नहीं अब कूनो का रकबा बढऩे के बाद तो 8 0 शेर तक रह सकते हैं। यही नहीं कूनो में नीलगाय, चीतल, चिंकारा आदि वन्यजीव भी बहुतायत में जो शेरों केा सर्वाइव करने के लिए काफी हैं।
अतुल चौहान, कूनो में शेर लाओ आंदोलन के संयोजक