बड़ौदा तहसील मुख्यालय से महज आठ किलोमीटर दूर स्थित सिरसौद गांव से कुछ दूरी पर स्थित रातड़ी नदी (बड़ौदा क्षेत्र की अहेली नदी की सहायक नदी) बहती है। हालांकि ग्रीष्मकाल में तो नदी सूख जाती है, जिससे गांव का आवागमन सुगम होता है। गांव में पांचवी तक स्कूल है, लेकिन नदी के चलते शिक्षक भी यदा कदा ही पहुंचते हैं। पांचवी के बाद बच्चे पढऩे बड़ौदा आते हैं, जिन्हें भी नदी पार कराने के लिए ग्रामीण दिन भर मशक्कत करते रहते हैं।
250 परिवारों की बस्ती कई कर गए पलायन
ग्रामीणों ने बताया कि सिरसौद गांव में 250 परिवार निवास करते हैं, जिसमें बंजारा, आदिवासी और दलित समाज के लोग शामिल हैं। लेकिन नदी पर पुल नहीं होने और आवागमन की सुविधा नहीं होने से कई परिवार तो पलायन कर गए। जबकि कुछ परिवार इस ओर आकर बस गए, लेकिन अभी भी खेती बाड़ी उस ओर ही है, लिहाजा खेती करने जाने में भी काफी दिक्कतें आती हैं। ग्रामीणों ने बताया कि लगभग 12 साल पहले गुलाब बंजारा अपने माता पिता के साथ बैलगाड़ी से नदी पार कर रहे थे, तभी नदी में अचानक पानी का बहाव बढ़ा और तीनों लोग बैलगाड़ी सहित बह गए, जिससे उनकी मौत हो गई। अभी तीन साल पूर्व एक युवक भी बह गया, जिसकी भी मृत्यु हो गई।
पुल की समस्या को लेकर मैंने कई बार प्रशासनिक अफसरों और अन्य जनप्रतिनिधियों को अवगत कराया और कई पत्र भी लिखे। लेकिन अभी तक पुल के संबंध में कोई कार्रवाई नहीं हुई।
सुमित्रा दारा सिंह बंजारा, उपाध्यक्ष जनपद पंचायत श्योपुर