गौरतलब है कि शिवपुरी जिले मौजूद प्राकृतिक झरनों पर मौसम का लुत्फ लेने के लिए महिला-पुरुष व बच्चों की भारी भीड़ रहती है। इन झरनों के आसपास पत्थर-चट्टानों पर लगी काई व चिकनाई बरसात के दिनों में बड़ा खतरा बन जाती है। यही वजह है कि हर साल शिवपुरी जिले में हर साल बारिश के मौसम में लोग या तो मौत का शिकार होते हैं या फिर वे मौत को बहुत नजदीक से देखते हैं। हर बार होने वाले हादसों के बावजूद इन स्पॉट्स पर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए जाते, जिससे यहां होने वाले हादसों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। इतना जरूर होता है कि जब भी कोई बड़ा हादसा होता है तो कुछ दिन तक वहां पर चौकसी बढ़ा दी जाती है, लेकिन फिर वही ढर्रा शुरू हो जाता है।
बारिश के मौसम में जिले के डेंजर जोन
सुल्तानगढ़ फॉल
शिवपुरी-ग्वालियर हाइवे पर मोहना के नजदीक सडक़ से लगभग दो किमी अंदर जंगल में यह प्राकृतिक झरना उस समय तक तो बहुत सुहावना लगता है, जब यहां पानी का तेज फ्लो नहीं आता। चूंकि यह ग्वालियर के नजदीक है, इसलिए शिवपुरी के साथ-साथ ग्वालियर व आसपास के क्षेत्रों से सैलानी यहां आते हैं।
इसलिए खतरा: प्राकृतिक झरने का कैचमेंट एरिया काफी लंबा है, जब केचमेंट एरिया में तेज बारिश होती है तो फॉल पर पिकनिक मनाने वाले लोगों को यह पता नहीं चल पाता कि आने वाला फ्लो कितना तेज होगा। पिछले वर्ष जहां 9 युवकों की मौत हुई, वहीं उससे एक साल पूर्व चार लोग भी डूबकर मर गए थे।
पवा झरना
शिवपुरी-पोहरी रोड पर सिरसौद के पास स्थित पवा भी एक प्राकृतिक झरना है, जहां पर चट्टानों से होकर पानी आता है। यहां भी हजारों की संख्या में सैलानी पानी के बीच मौज-मस्ती करने आते हैं। शिवपुरी ब्लॉक में होने वाली तेज बारिश के बाद इस झरने पर पानी का फ्लो बढ़ जाता है।
इसलिए खतरा
इस झरने की भी गहराई बहुत अधिक है और ऊपर के हिस्से में मौजूद पत्थर बरसात के दौरान चिकनाई बढ़ जाने से खतरनाक हो जाते हैं। साथ ही ऊपरी हिस्से में पत्थरों के बीच भरे पानी की गहराई का अंदाजा नहीं रहता है। बीते वर्षएक 12 वर्षीय बालक की ऐसे ही एक गढ्डे में डूबने से मौत हो गई थी।
ये भी हैं प्राकृतिक झरने
शिवपुरी में स्थित भदैया कुंड, भूरा-खो, टुंडा भरका, भरका खो भी प्राकृतिक झरने हैं। इनमें से भदैया कुंड तो शहरी क्षेत्र में ही होने की वजह से यहां पर सुरक्षा के लिए कुछ कर्मचारी तैनात रहते हैं, लेकिन टुंडा भरका व भरका खो जंगल में होने की वजह से माधव नेशनल पार्क प्रबंधन सैलानियों से किराया तो वसूलता है, परंतु सुविधा के नाम पर कुछ नहीं देता। यहां तक पहुंचने के लिए बेहतर रास्ता भी नहीं है।
…तो बने बात
हमारे पास दो रबर बोट हैं, जबकि एक रिपेयर होना है। गोताखोर नहीं हैं, लेकिन जहां गोताखोर हैं, उनके सभी कॉन्टेक्ट नंबर हमारे पास हैं।प्राकृतिक झरनों के पास चेतावनी बोर्ड लगाए जाएंगे। झरनों के अलावा गोरा-टीला रपटा व पचावली पुल पर जवान तैनात करेंगे।
एलएम बागरी, कमांडेंट होमगार्ड