मोहल्ले के लोगों के अलावा नगर निगम के कर्मचारी, कुछ शासकीय दफ्तरों के कर्मचारी भी इनमें कचरा डाल रहे हैं। कई बावडिय़ों का अस्तित्व ही नहीं रहा। बावडिय़ों के सुधार के लिए जो अभियान शुरू किया गया वह भी ठप हो गया। अधिकारी स्मार्ट सिटी बनाने की बात करते हैं, लेकिन सिर्फ ऊपरी सुंदरता से स्मार्ट सिटी नहीं बन सकती। इसके लिए प्राचीन इमारतों, बावडिय़ों को भी सुधारना होगा।
हनुमान बांध की बावड़ी काफी पुरानी है, लेकिन अब इसकी हालत बदतर है। न तो नगर निगम ने ध्यान दिया, न मंत्री और विधायकों ने इसके सुधार के लिए कोई प्रयास किए। वर्तमान में बावड़ी कचरा घर बन गई है। कचरे के ऊंचे-ऊं चे ढेर लगे हैं। मोहल्ले और आसपास के लोग यहीं कचरा फेंकते हैं। अनदेखी से यह बावडिय़ां अस्तित्व खो रही हैं।
मोतीमहल में भी एक बावड़ी बनी हुई है, जिसकी देखरेख नहीं होने से वह कचराघर में तब्दील हो चुकी है। इतना ही नहीं कई सरकारी दफ्तरों का कचरा भी इस बावड़ी में पटका जा रहा है। आलम यह है कि बावड़ी कम अब कचरा घर ज्यादा हो गई है। कचरे के कारण मच्छर भी पैदा हो रहे हैं।
यहां भी नहीं ध्यान शहर में केवल इन्हीं जगहों पर नहीं बल्कि खेड़ापति मंदिर के पास, संत कृपाल आश्रम के पास, कोटेश्वर मंदिर के पीछे, सेवा नगर, रिवर व्यू कॉलोनी सहित कई जगह बावड़ी की हालत बहुत दयनीय है। अगर नगर निगम इन पर गंभीरता से विचार करे तो इनको जीवित किया जा सकता है।
बावड़ी की सफाई होनी चाहिए
-शहर की बावड़ी अब कचरा घर में तब्दील हो गई हैं। नगर निगम अगर इन बावड़ी पर काम करा दे तो कई चीजों का फायदा होगा।
रामचरन, समाजसेवी कोई अधिकारी ध्यान नहीं देता
-हनुमान बांध की बावड़ी को लेकर कई बार शिकायत हुई, लेकिन किसी अधिकारी ने ध्यान नहीं दिया। इसकी सफाई होनी चाहिए।
पवन कुशवाह, स्थानीय निवासी