scriptजन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्ति दिलाती है ब्रज की परिक्रमा | Liberation from the bond of birth and death revolves around Braj | Patrika News

जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्ति दिलाती है ब्रज की परिक्रमा

locationग्वालियरPublished: Feb 18, 2020 11:41:42 pm

Submitted by:

Narendra Kuiya

– कुंज बिहार में आयोजित श्रीमद्भागवतकथा का चौथा दिवस

जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्ति दिलाती है ब्रज की परिक्रमा

जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्ति दिलाती है ब्रज की परिक्रमा

ग्वालियर. जीवन में मनुष्य को एक बार 84 कोस के ब्रजमंडल की परिक्रमा जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिलती है और किसी के गर्भ में जाकर कष्ट नहीं भोगना होगा। यह विचार कौशिक महाराज ने कुंज बिहार में आयोजित हो रही श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन व्यक्त किए।
कौशिक महाराज ने देर तक सोने वालों को आगाह करते हुए कहा कि सूर्यदेव जब भगवा आभा लिए प्रकट होते हैं उस समय भी जो लोग सोते रहते हैं, वे जीवन में कभी उन्नति नहीं कर पाते हैं। ऐसे लोग कभी ब्रह्मचारी और संयमी नहीं होते हैं, बल्कि ऐसे लोग झगड़ालू और क्लेशी होते हैं। इसलिए भले ही कोई काम न हो, खुद सूर्योदय से पूर्व उठे और अपने बच्चों में भी जल्दी उठने की आदत डालें तो आप निश्चित तौर पर संयम प्राप्त कर लेंगे। उन्होंने कहा कि रेडीमेड के जमाने मेें भोजन भी रेडीमेड हो गया है। माताएं रसोई पकानें में आलस करती हैं। पहले मकर संक्रांति पर बाजरे की टिकिया और होली पर गुजिया, पपडिय़ां बनाती थीं, लेकिन अब सब रेडीमेड आने लगा है। बाजार से लाए गए भोज्य खाना, घर पर बनाए गए भोजन होते हैं, लेकिन उस भोजन को यदि भगवान को भोग लगा दो तो वह प्रसाद हो जाता है।
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