हाईकोर्ट का अहम फैसला, रेप से जन्मे बच्चे को होगा पैतृक संपत्ति पर हक
Published: Nov 04, 2015 01:37:00 pm
महिलाओं से बढ़ते रेप के मामलों को देखते हुए इलाबाद हाई कोर्ट ने एक अहम
फैसला सुनाया। यह फैसला रेप पीड़िताओं के पक्ष में सुना गया। फैसले के
अनुसार अब रेप से जन्मे बच्चे को अपने जैविक पिता की संपति में अधिकार
होगा।
महिलाओं से बढ़ते रेप के मामलों को देखते हुए इलाबाद हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया। यह फैसला रेप पीड़िताओं के पक्ष में सुना गया। फैसले के अनुसार अब रेप से जन्मे बच्चे को अपने जैविक पिता की संपति में अधिकार होगा। हॉलांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि यह फैसला उस पर्सनल लॉ के अनुसार होगा जिससे बच्चे का ताल्लुक है।
कोर्ट ने फैसला सुनाया कि उस बच्चे को अपने जैविक पिता की नाजायज संतान माना जाएगा। अगर बच्चे को कोई और गोद लेता है तो फिर बच्चे के पास पिता की संपत्ति में कोई अधिकार नही होगा।
एक 13 साल की रेप पीड़िता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए जस्टिस साबिलहुल हसनैन और जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय की खुडपीठ ने सरकार को आदेश दिए है कि वो इस बच्ची को 10 लाख रुपये की अदा करे। कोर्ट ने सरकार को बच्ची के व्यस्क हो जाने पर उसे नौकरी दिलाने की भी बात की है। कोर्ट ने पीड़िता की पहचान छुपाने के लिए उसके नाम की जगह ‘ए’ नाम का इस्तमाल किया।
पीड़िता एक आर्थिक रुप से कमजोर परिवार से ताल्लुक रखती है। इसी साल उसके साथ रेप की घटना घटित हुई जिसके बाद वो गर्भवती हो गई। हाल ही में उसने एक बच्ची को जन्म दिया है। जब तक पीड़िता के परिवार को उसके गर्भवती होने की बात पता चली तब तक गर्भपात करवाने के लिए तय 21 सप्ताह का समय खत्म हो चुका था। उसके परिवार ने कोर्ट मे गर्भपात करवाने की याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने डॉक्टर्स को उसके गर्भपात और उससे होने वाले असर के बारे में बताने को कहा। जिसके डॉक्टर्स ने कोर्ट को बताया कि गर्भपात करवाने से पीड़िता की जान भी जा सकती है। पीड़िता ने कहा कि वो बच्चे को गोद देना चाहती है क्योकि बच्चे के साथ समाज में उसकी स्थिति शर्मनाक हो जाएगी।
कोर्ट ने एक वरिष्ठ पैनल बनाकर उनसे बलात्कार से पैदा हुए बच्चों को जायदाद में अधिकार देने वाले मुद्दे पर अपनी राय देने को कहा। कोर्ट ने कहा कि’ उत्तराधिकारी से संबंधित मुद्दे में बच्चे के जन्म की परिस्थितिया अप्रसांगिक है। बच्चे के जायदाद के हिस्से संबंधित अधिकार नियम उस व्यक्ति या परिवार के पर्सनल लॉ के द्वारा तय किए जाते है। जिस बच्चे ने जन्म लिया है वो रेप को नतीजा है या मर्जी से बनाए हुए संबंध का, यह अप्रसांगिक है। इसलिए नवजात बच्चे के उत्तराधिकार संबंधी नियम उस पर्सनल लॉ के मुताबिक होगा जिससे बच्चे और उसके परिवार का संबंध है। इसलिए बच्चे का उस जैविक पिता की नाजायज संतान माना जाएगा।
मौजूदा केस पर कोर्ट ने कहा कि नवजात बच्ची को गोद दे दिया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि अगर बच्ची को गोद दे दिया जाता है तो उसका अपने जैविक पिता की संपत्ति पर कोई अधिकार नही होगा। और अगर उसे कोई गोद नही लेता है तो कोर्ट के निर्देश के बिना ही उसे अपने पिता के धर्म के मुताबिक संपत्ति में अधिकार मिल जाएगा।
कोर्ट ने माना कि जैविक माता पिता की संपत्ति में अधिकार का मामला पर्सनल लॉ का बेहद जटिल है जो या तो कानून के मुताबिक तय होता है या फिर परम्परा के मुताबिक। कोर्ट के लिए बलात्कार के कारण पैदा हुए उत्तराधिकारी का मामला तय करना संभव नही है। कोर्ट के द्वारा की गई ऐसी कोई वैधानिक और कानूनी फैसला हो जाएगी और उसका पालन आने वाले समय में उस तरह होगा। इसलिए इस बारे में फैसला सुनाना हमारे लिए वांछनीय नही है, हम इसकी सबंधित कानून को जिम्मेदारी छोड़ते है कि वे बेहद जटिल सामाजिक मुद्दे और इसका ध्यान रखते हुए मामले का निपटारा करेंगे।
बलात्कार पीड़िता के विषय में फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने फैसला सुनाया कि उसके लिए आर्थिक मुआवजा काफी नही होगा। कोर्ट ने कहा कि रेप पीड़िताओं और उससे जन्मे बच्चों की शिक्षा पर ध्यान दिया जाए और उनके पुर्नवास का भी इंतजाम किया जाए।