scriptलॉकडाउन के कारण 173 लोगों की अस्थियां मोक्ष के इंतजार में कैद | Locks of 173 people imprisoned waiting for salvation due to lockdown | Patrika News

लॉकडाउन के कारण 173 लोगों की अस्थियां मोक्ष के इंतजार में कैद

locationग्वालियरPublished: Jun 01, 2020 06:58:44 pm

लॉकडाउन खुलने का इंसान ही नहीं दुनिया छोड़ गए लोगों की आत्माएं भी इंतजार में हैं करीब 173 लोगों की अस्थियां मोक्ष का इंतजार कर रही हैं।

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लॉकडाउन के कारण 173 लोगों की अस्थियां मोक्ष के इंतजार में कैद

ग्वालियर. लॉकडाउन खुलने का इंसान ही नहीं दुनिया छोड़ गए लोगों की आत्माएं भी इंतजार में हैं हालांकि प्रशासन की परमिशन के बाद यह इंतजार खत्म होना शुरू हो गया है, फिर भी शहर के मुक्तिधाम, बगिया सहित अन्य स्थानों पर करीब 173 लोगों की अस्थियां मोक्ष का इंतजार कर रही हैं। अस्थियां लॉकर भी फुल हो चुके हैं। अब अस्थियों को टीन के डिब्बे में या फिर पेड़ और कील पर लटकाया गया है। फालका बाजार स्थित बगिया, ढोली बुवा पुल स्थित महाराष्ट्रीयन समाज की बगिया या फिर चार शहर का नाका स्थित मुक्तिधाम सभी जगह अस्थियों को रखने वाले लॉकर फुल हैं। लोगों ने पेड़ पर अस्थियां लटका दी हैं।

यहां रखी हुई है अस्थियां
फालका बाजार स्थित बगिया: 30 लोगों की अस्थियां लॉकर में कुछ टीन के डिब्बे में रखी हैं।
ढोली बुआ पुल स्थित बैकुंठ धाम: यहां 30 अस्थियां लॉकर में रखी गई हैं।
चार शहर का नाका मुक्तिधाम: यहां 65 की अस्थियां हैं, लॉकर फुल होने से पेड़ पर लटकाई।
लक्ष्मीगंज मुक्तिधाम: यहां कमरे में कील पर करीब 15 अस्थियां लटकी हुई हैं।
महेश्वरी समाज का मुक्तिधाम: यहां 3 की अस्थियां रखी हुई हैं।

भदावना में विर्सजन
अस्थियां विर्सजन के लिए लोग इलहाबाद, हरिद्वार नहीं जा पाए तो उन्होंने भदावना में जाकर अस्थियां विर्सजन की। जिले के देहात में उटीला से करीब 6 किलोमीटर दूर भदावना है। जहां 12 महीने 24 घंटे झरना बहता है। यहीं से वैशाली नदी का उद्गम होना बताया जाता है। वहां के लोगों की मानें तो लॉकडाउन में ग्वालियर, आस-पास के करीब 50 गांव से करीब 300 लोगों की अस्थियां विसर्जित हुई हैं।

अस्थियों से लॉकर भी फुल हो चुके हैं। कुछ नए लॉकर बनाने का ऑर्डर दिया है, हालांकि अब कुछ लोग परमिशन लेकर निजी वाहनों से अस्थियां विर्सजन के लिए लेकर गए हैं।
डॉ. हरिशचंद्र पिपरिया, अध्यक्ष चार शहर का नाका मुक्तिधाम जीर्णोधार एवं संधारण न्यास

परमीशन लेना पड़ रही है
मेरे पिता का मार्च में निधन हो गया था। पिता की अस्थियां इलाहबाद लेकर जाना था, लेकिन लॉकडाउन के कारण नहीं लेजा सका। अभी लॉकर में रखीं है। पता चला है कि परमिशन लेना पड़ रही है।
ब्रजलाल, सिकंदर कम्पू

पेड़ पर लटकाई है
मेरी माताजी का निधन अप्रेल में हुआ था। हरिद्वारा अस्थियां लेकर जाना चाहता था लेकिन परमिशन नहीं मिली। लॉकर में रखने गया तो फुल हो चुके थे। इसलिए कपड़े में बांधकर बगिया में पेड़ पर टांग दी थी।
नितिन, मुरार निवासी
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