यहां कांग्रेस-भाजपा में परंपरागत सीट बचाने और छीनने की जंग,जानिए इस सीट का गणित
प्रज्ञा ठाकुर ऐसे बनीं उम्मीदवारकांग्रेस से दिग्विजय को प्रत्याशी बनाने के बाद से ही प्रज्ञा की इच्छा थी कि वे अपने चिर प्रतिद्वंद्वी के सामने मैदान में उतरें। प्रज्ञा ने अपनी इच्छा संघ के सामने रखी और उसके बाद संघ की इच्छा पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने उनके नाम को गंभीरता से लिया। 22 से 27 मार्च तक प्रज्ञा दिल्ली में डेरा डाले रहीं और इसी दौरान उनके टिकट पर मुहर लग गई। संगठन प्रज्ञा के नाम पर स्थानीय नेताओं को राजी करना चाहता था। उसे डर था कि बालाघाट, टीकमगढ़ और खजुराहो की तरह भोपाल में भी बगावत बुलंद ना हो जाए।
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स्थानीय नेताओं को साधने का काम राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल और प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे ने संभाला। मंगलवार देर शाम प्रदेश स्तर के नेताओंं के साथ राजधानी में हुई बैठक में यह साफ कर दिया गया कि प्रज्ञा के नाम के ऐलान के बाद किसी तरह का असंतोष ना हो। इसके बाद प्रज्ञा के नाम का ऐलान किया गया।
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भिण्ड जिले में जन्मी साध्वी प्रज्ञा
साध्वी प्रज्ञा का जन्म मध्यप्रदेश के ग्ववालियर चंबल संभाग के भिंड जिले में 1970 में जिले के कछवाहा गांव में हुआ। साध्वी प्रज्ञा हिस्ट्री में पोस्ट ग्रेजुएट प्रज्ञा का शुरुआत से ही दक्षिणपंथी संगठनों की तरफ रुझान रहा। वह आरएसएस की छात्र इकाई एबीवीपी की भी सक्रिय सदस्य रह चुकी हैं। उनके पिता चंद्रपाल सिंह आरएसएस के स्वयंसेवक और पेशे से आयुर्वेदिक डॉक्टर थे। कट्टर हिन्दुत्व की राह पर चलने वाली प्रज्ञा का जीवन उतार-चढ़ाव वाला रहा है।
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मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को एक बम विस्फोट हुआ था। बम को एक मोटरसाइकिल में लगाया गया था। इस ब्लास्ट में आठ लोग मारे गए थे और 80 से अधिक घायल हुए थे। जब इसकी जांच शुरू हुई तो महाराष्ट्र पुलिस की एटीएस की जांच में प्रारंभिक रूप से प्रज्ञा का नाम सामने आया था। एनआइए ने जांच में यह पाया कि घटना की साजिश अप्रेल 2008 में भोपाल में रची गई थी।
दिग्विजय सिंह को पहले टिकट घोषित होने का लाभ मिला है। वे कई इलाकों में दौरे, जनसम्पर्क और विभिन्न संगठनों की बैठक कर चुके हैं। दिग्विजय के पास भोपाल लोकसभा क्षेत्र में कार्यकर्ताओं का तगड़ा नेटवर्क है। उन्होंने कई समाजों की बैठक करके जातीय समीकरण साधने की कोशिश भी की है।
प्रज्ञा बयानों से हमला बोल सकती हंै। वे दिग्विजय पर ये आरोप लगा सकती हैं कि उन्हीं के कारण जेल में यातनाएं झेलनी पड़ीं।दिग्विजय ने अपने बयान से संकेत दिया है कि वे शांत रहकर सामना करेंगे, लेकिन कांग्रेस प्रज्ञा के आरोप के जवाब में शिवराज सरकार के कार्यकाल में भोपाल सेंट्रल जेल में हुई उनकी दुर्दशा और प्रज्ञा के उन आरोपों को सामने लाने की कोशिश करेगी, जिसमें उन्होंने जेल में दुव्र्यवहार के आरोप लगाए थे।
प्रज्ञा जय वंदे मातरम जन कल्याण समिति गठित करने के बाद स्वामी अवधेशानंद गिरि के संपर्क में आईं। अवधेशानंद का राजीनितिक गलियारे में प्रभाव था, इसलिए प्रज्ञा का भी राजनीतिक दायरा बढऩे लगा। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय जागरण मंच बनाया। प्रज्ञा ने भाषणों में हिन्दुत्व को फोकस किया तो भाजपा और संघ से नजदीकी बढ़ती गई। शुरूआत में उनके भाषण इंदौर, जबलपुर और आस-पास के इलाकों में प्रभाव उत्पन्न करने लगे। बाद में वे मध्यप्रदेश और गुजरात के विभिन्न इलाकों तक पहुंच बनाने लगीं।