प्राचीन गौरीसरोवर तट पर स्थित कालेश्वर शिवमंदिर हजारों भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। वनखंडेश्वर के बाद कालेश्वर मंदिर पर सबसे भक्त पूजा अर्चना के लिए आते हैं।
ग्वालियर। प्राचीन गौरीसरोवर तट पर स्थित कालेश्वर शिवमंदिर हजारों भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। वनखंडेश्वर के बाद कालेश्वर मंदिर पर सबसे भक्त पूजा अर्चना के लिए आते हैं। सावन के महीनें में तो सुबह से शाम तक भक्तों का तांता लगा रहता है। भक्तगण अभिषेक कर भगवान से मन्नत मांगते हैं। मान्यता है कि श्रद्धाभाव से मंागी गई हर मन्नत भोलेनाथ पूरी भी करते हैं।
शिवरात्रि को यहां पर बड़ी संख्या यहां पर कांवरे चढ़ती है।
भक्तों के सहयोग से यहां पर पिछले दस साल में कई निर्माण कार्य हुए है। मनोहारी दृश्य को देखकर हर राहगीर के कदम स्वता ही ठहर जाते हैं।यहं पर आए दिनभंडारों का आयोजन होता रहता है।गुरूवार को साईं भोग का प्रसाद ग्रहण करने के लिए बड़ी संख्या में लोग आते है।
स्थापित शिवलिंग है आक र्षक व दुर्लभ
16वीं शताब्दी में भदावर राजाओं ने बटेश्वर की तर्ज पर गौरीसरोवर को विकसित करने की योजना बनाई थी।यहां पर शिवजी के एक सैकड़ा से अधिक मंदिरों का निर्माण कराया गयाथा। कालेश्वर मंदिर उसी काल का है। स्थापित शिवलिंग आक र्षक और दुर्लभ है।मंदिर की स्थापत्य कला भी मन को मोह लेने वाली है।
10 साल से चल रही है अखंड रामायण
मंदिर परिसर में करीब 10 साल से अखंड रामायण का पाठ चल रहा है। प्रतिमाहभक्तों की ओर से विशाल भंडारे का आयोजन भी किया जाता है। देवप्रभाकर शास्त्री दद्दा के अनुयायियों की ओर से कई बार यहां पर पार्थिव शिवलिंगों का निर्माण कर अभिषेक कराया जा चुका है। पर्यटन की दृष्टि से भी इस स्थान को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।