भक्तों के कल्याणार्थ होता है प्रभु का अवतार
सनातन धर्म मंदिर में विष्णु महापुराण कथा का छटवां दिन

ग्वालियर. ऋषि सेवा समिति की ओर से सनातन धर्म मंदिर में आयोजित की जा रही विष्णु महापुराण कथा के छटवें दिन राघव ऋषि ने कहा कि जब-जब धर्म की हानि होती है तब-तब प्रभु किसी न किसी रूप में अवतरित होकर भक्तों, संतों का कल्याण करते हैं।
उन्होंने आगे कथा के क्रम को बढ़ाते हुए श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का वर्णन करते हुए कहा कि कंस जैसे पापी को नष्ट करने के लिए भगवान ने अवतार लेने का निश्चय लिया। भगवान के जन्म लेते ही उनकी बाल लीलाओं को देखकर ग्वाल-बाल, गोपियां सभी आनंदित हो रहे हैं। आगे भगवान श्रीकृष्ण ने अपने ही स्वरूप को समाहित कर गोवर्धनाथ का समस्त गोप-गोपियों से गिर्राज जी का पूजन कराया। भगवान ने कहा कि मनुष्य का जन्म उसके कर्म से ही होता है व कर्म से ही वह मृत्यु को प्राप्त होता है। सुख व दु:ख किसी भी प्राणी को नहीं बल्कि उसके कर्म से ही मिलते हैं। स्वयं का किया गया कर्म ही उसे पापी या पुण्य आत्मा बनाता है। सौरभ ने मैं तो गोवर्धन का जाउं मेरे वीर भजन प्रस्तुत कर श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया।
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