ऐसे विराजी मां शीतला
मंदिर के आसपास घनघोर जंगल है, लेकिन दर्शन करने के लिए आने वालों को आज तक किसी भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार एक समय इस इलाके में अकाल पड़ गया था, पशुओं तक के लिए चारे और पानी की व्यवस्था तक नहीं थी, जिस पर यहां का एक चरवाह अपने पशुओं को लेकर भिण्ड जिले के खरौआ गांव में चला गया जहां पर शीतला माता का एक मंदिर था। चरवाह रोज माता की पूजा करता था और पशुओं को चराता था, लेकिन जब बारिश शुरू हो गई तो वह वापस अपने गांव आने लगा, जिस पर शीतला माता प्रकट हुई, और उस चरवाहे के साथ साथ सातऊ गांव आ गई चरवाहे ने माता को पहाड़ी पर बैठने के लिए कहा और उसी समय से यहां माता का चमत्कार होने लगा, धीरे धीरे लोग मंदिर पर आने लगे और आज इलाके इस मंदिर पर नवरात्र के दौरान लाखों की संख्या में भक्त आकर माता के दर्शन करते हैं। वहीं इस इसके अलावा भी कई माता मंदिर स्थापना को लेकर कई कहानियां सुनने में आती हैं।