सप्लीमेंट्री में थे 6 नंबर री-टोटलिंग में हुए 66
मामला कुछ यूं है कि उपनगर निवासी कोटावाला मोहल्ला निवासी प्रतीक राठी पुत्र राजेन्द्र राठी ने 2015 में माध्यमिक शिक्षा मंडल से हाईस्कूल की परीक्षा दी थी। इस परीक्षा में सोशल साइंस में उसे मात्र 6 नंबर देकर सप्लीमेंट्री दे दी गई, जबकि छात्र को पूर्ण विश्वास था कि उसके नंबर इससे कहीं अधिक हैं। उसने री-टोटलिंग के लिए आवेदन किया तो उसके नंबर बढ़ाकर 66 कर दिए गए। 66 नंबर मिलने के बाद छात्र ने आंसर शीट के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था जो उसे अभी तक प्राप्त नहीं हो सकी है। इसके लिए प्रतीक ने सीएम हेल्पलाइन में भी शिकायत की थी।
मामला कुछ यूं है कि उपनगर निवासी कोटावाला मोहल्ला निवासी प्रतीक राठी पुत्र राजेन्द्र राठी ने 2015 में माध्यमिक शिक्षा मंडल से हाईस्कूल की परीक्षा दी थी। इस परीक्षा में सोशल साइंस में उसे मात्र 6 नंबर देकर सप्लीमेंट्री दे दी गई, जबकि छात्र को पूर्ण विश्वास था कि उसके नंबर इससे कहीं अधिक हैं। उसने री-टोटलिंग के लिए आवेदन किया तो उसके नंबर बढ़ाकर 66 कर दिए गए। 66 नंबर मिलने के बाद छात्र ने आंसर शीट के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था जो उसे अभी तक प्राप्त नहीं हो सकी है। इसके लिए प्रतीक ने सीएम हेल्पलाइन में भी शिकायत की थी।
शासकीय उमा विद्यालय शिक्षा नगर का नियमित छात्र रहते हुए इस छात्र ने 2018 में हायर सेकंडरी की परीक्षा के लिए आवेदन किया। जब छात्र के पास रोल नंबर आया तो माध्यमिक शिक्षा मंडल ने उसमें किसी शैलेष द्विवेदी का फोटो चस्पा कर दिया। रोल नंबर में बड़ी मुश्किल से परिवर्तन कराकर छात्र ने जैसे-तैसे परीक्षा में बैठने की अनुमति ली। सभी विषयों में डिस्टेंक्शन के साथ 86 फीसदी अंक लाने वाले प्रतीक की अंकसूची जब हाथ में आई तो उसमें फिर उसी शैलेष द्विवेदी का फोटो चस्पा कर दिया गया। शासकीय उमा विद्यालय शिक्षा नगर में आवेदन के बाद प्राचार्य ने उसकी मदद की तब जाकर छात्र को शासकीय भगवत सहाय महाविद्यालय में प्रवेश मिल पाया है।
राष्ट्रीय प्रतिभा खोज उत्तीर्ण करने के बाद भी वंचित रह गया छात्रवृत्ति से
इसे प्रतीक राठी का भाग्य कहें या फिर माध्यमिक शिक्षा मंडल की कारगुजारियों का परिणाम कि एक ओर जहां उसे दो साल से हाईस्कूल और हायर सेकंडरी की परीक्षाओं में परेशान होना पड़ा। इसके साथ-साथ ही वह राष्ट्रीय प्रतिभा खोज उत्तीर्ण करने के बाद भी इससे मिलने वाली छात्रवृत्ति से वंचित रह गया। छात्र ने राज्य स्तरीय राष्ट्रीय प्रतिभा खोज की परीक्षा 2015 में दी थी और इसे उत्तीर्ण भी किया था। उत्तीर्ण परीक्षार्थी को शासन की ओर से दो वर्ष के लिए 6 हजार रुपए की छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है, जो हाईस्कूल के बाद 11वीं और 12वीं के लिए दी जाती है। हाईस्कूल की संशोधित अंकसूची समय पर नहीं मिलने के कारण प्रतीक छात्रवृत्ति से भी वंचित रह गया।
इसे प्रतीक राठी का भाग्य कहें या फिर माध्यमिक शिक्षा मंडल की कारगुजारियों का परिणाम कि एक ओर जहां उसे दो साल से हाईस्कूल और हायर सेकंडरी की परीक्षाओं में परेशान होना पड़ा। इसके साथ-साथ ही वह राष्ट्रीय प्रतिभा खोज उत्तीर्ण करने के बाद भी इससे मिलने वाली छात्रवृत्ति से वंचित रह गया। छात्र ने राज्य स्तरीय राष्ट्रीय प्रतिभा खोज की परीक्षा 2015 में दी थी और इसे उत्तीर्ण भी किया था। उत्तीर्ण परीक्षार्थी को शासन की ओर से दो वर्ष के लिए 6 हजार रुपए की छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है, जो हाईस्कूल के बाद 11वीं और 12वीं के लिए दी जाती है। हाईस्कूल की संशोधित अंकसूची समय पर नहीं मिलने के कारण प्रतीक छात्रवृत्ति से भी वंचित रह गया।
“पिछले दो सालों से मैं और मेरे पिताजी परेशान हो रहे हैं। सीएम हेल्पलाइन में भी शिकायत की पर कुछ नहीं हुआ। 10वीं कक्षा के बाद 12वीं में भी मुझे परेशानी उठानी पड़ी, फिर भी अभी तक सही अंकसूची भी मुझे नहीं मिल पाई है।”
प्रतीक राठी, पीडि़त छात्र
प्रतीक राठी, पीडि़त छात्र
“ऑनलाइन प्रक्रिया होने के बाद ऐसा होना नहीं चाहिए। किसी छात्र के साथ ऐसा हुआ है तो आप उसके सारे दस्तावेज उपलब्ध कराइए हम तत्काल उस पर कार्रवाई करेंगे। एक लाख में से किसी एक छात्र के साथ ही ऐसा हो सकता है।”
एसआर मोहंती, चेयरमेन, माध्यमिक शिक्षा मंडल
एसआर मोहंती, चेयरमेन, माध्यमिक शिक्षा मंडल